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आरोग्गरिअ – रक्त, रंगा हुआ
 
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आहित्यविहत्य–आकुल-व्याकुल
 
आरोख – १ प्रवृद्ध, बढ़ा हुआ । २ आहिद्ध – १ रुद्ध, रुका हुआ । २
गृहागत, घर में आया हुआ
 
गलित, गला हुआ
 
आलक्क - पागल कुत्ता
 
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आलत्थअ-
- मयूर
 
आलस – बिच्छू
 
आलिद्ध– १ आलिङ्गित । २ व्याप्त
आलिसिंदय- धान्य-विशेष
आलुंखिय–आस्वादित
 
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आलुंघिअ - स्पृष्ट – स्पृष्टार्थे देशी
आलुयार- निरर्थक, व्यर्थ
आलोल - केशबंधन
 
आवग्ग- -१ आरूढ । २ स्वाधीन
आवग्गी-स्वाधीना
 
आवरिल्ल - १ आवृत । २ चंचल
 
आवसण-रतिगृह
आवाह – इक्षुवाटी
आविलिअ-कुपित, क्रुद्ध
 
आवील – शिरोभूषण, माला
 
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आवृत्त— भगिनी-पति, बहनोई
आवेढिअ-आवेष्टित
 
आवेवअ - १ विशेष आसक्त ।
 
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२ प्रवृद्ध, बढ़ा हुआ
 
आसंघ–आस्था
 
आसंघिय - आश्रित
 
आसकलिय– प्राप्त
 
आसगलिअ -- १ प्राप्त । २ आक्रान्त
आहट्ट - १ आडंबर । २ उपाधि
आड्ड-सीत्कार
 
आहर जाहर — गमनागमन
आहविअ - चूर्णित
आहित्य - व्याकुल, त्रस्त
 
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आहुट्ट - साढ़े तीन
 
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आहुट्ठ - अर्धचतुर्थ, साढे तीन
आहुत्त — सम्मुख, सामने
 
इक्कुसी – नील कमल
इच्छाउत्त– १ योगिनी- पुत्र ।
२ ईश्वर
 
देशी शब्दकोश
 
इदुर — १ गाड़ी के ऊपर लगाने का
आच्छादन विशेष । २ ढकने का
पात्र विशेष
 
इद्धग्गिधम - हिम
 
इल्लपुलिव- व्याघ्र
इल्लिय – आसिक्त
 
इवहि- अभी
 
इसअ— विस्तीर्ण
 
ईरिण– स्वर्ण
 
ईसोसि - अल्प
 
उअआर-समूह
 
उअविअ-उच्छिष्ट
 
उइत्तण — वस्त्र, निवसन
उएट्ट – शिल्प- विशेष
उओग्गिअ - संबद्ध, संयुक्त
उं-- १ निंदा, क्षेप । २ विस्मय ।
३ खेद ।४ वितर्क । ५ सूचन-
इन अर्थों का सूचक अव्यय
उंगाहिअ—– उत्क्षिप्त
 
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