2023-07-18 06:47:45 by श्री अयनः चट्टोपाध्यायः

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देशी शब्दकोश
 
सो
सीसक्क -- शिरस्राण, शिर की रक्षा के लिए पहना जाने वाला फौलादी टोप
 
-
 
(दे ८३
( दे ८।३४) ।
 
) ।
सीसपुच्छ -- पीठ की चमड़ी ( सूनि ६८ ) ।

सीसय -- प्रवर, श्रेष्ठ (दे ८॥ दे ८।३४) ।
) ।
सोहंडअ -- मत्स्य ( दे ८।२८) ।
 
सो
) ।
सी
हकेसरय -- विशेष प्रकार के मोदक ( पिनि ४६१) ।
 
) ।
सीहणही -- १ करमन्दिका, करौंदी का वृक्ष ( दे ८३५ ) । २ करौंदी का
पुष्प - 'सीहणही करमन्दिका । तत्कुसुममित्यन्ये' ( वृ ) ।
 
सो

सी
हपुच्छ -- पीठ की चमड़ी- - 'कप्पति कागणीमंसगाणि छिदंति सीहपुच्छाणि
' ( सूनि ७७) ।
 
सो
) ।
सी
हरअ -- आसार, तेजवर्षा ( दे ८।१२) ।
 
सो
) ।
सी
हलय -- वस्त्र आदि को धूपित करने का यन्त्र ( दे ८।३४) ।
सो
) ।
सी
हलिआ -- १ शिखा, चोटी । २ नवमालिका, नवारी का गाछ
(दे ८॥
( दे ८।५५ ) ।
 
-
 

सोहलिपासग -- वेणी बांधने के लिए काम में आने वाला ऊन या स्वर्ण का
कंकण ( सू १४२) ।
 
) ।
सुअणा -- अतिमुक्तक वृक्ष ( दे ८।३८ ) ।
 

सुई -- बुद्धि ( दे ८।३६ ) ।
 
सं

सुं
कय -- किंशारु, जौ आदि का अग्रभाग ( दे ८।३८ वृ ) ।
सुंकल --
किशारु, जौ आदि का अग्रभाग (दे८१३८ वृ) ।
 
सुंकल - किशारु,
धान्य आदि का अंग्रभाग ( दे ८३८ ) ।
 
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मुं

सुं
कलि -- तृण- विशेष ( भ २११६ ) ।
 
सं
९ ) ।
सुं
कलिकडय -- क्रीडा - -विशेष - 'यह खेल वृक्ष को केन्द्र मानकर खेला जाता है
' । खेलने वाले सभी बच्चे वृक्ष की ओर दौड़ते हैं । जो बच्चा
सबसे पहले वृक्ष पर चढ़कर उतर आता है, वह विजेता
माना जाता है । विजेता बच्चा पराजित बच्चों के कंधों पर
बैठकर दौड़ के प्रारम्भ बिन्दु तक जाता है - भगवं च मद-
वणे चेडरूवेहिहिं समं सुकलिकडएण अभिरमति'
(
( आवचू १ पृ २४६ )
 
सं

सुं
-- वर्षात्राण के उपकरण का एक प्रकार - वालो सुत्तो सुंगो'
( जीविप पृ १७) ।
सं

सुं
घिअ -- घात, सूंघा हुआ (दे ८॥ दे ८।३७) ।
 
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) ।