देशीशब्दकोश /455
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वियरग -- १ नदी आदि जलाशय के सूख जाने पर पानी के लिए किया जाने वाला गढा ( ज्ञा १।१।१५९ ) । २ कूपिका, छोटाकूप-वियरगोत्ति-कूविया' ( निचू ३ पृ ५८४ ) ।
वियरय -- १ लघु स्रोत वाला जलाशय जो सोलह हाथ विस्तृत होता है । नदी या महागर्त में इसका संकुचन तीन हाथ विस्तृत होता है ( व्यभा ४।३ टी प ६ ) । २ गर्त ( ज्ञा १।१७।२२ ) ।
वियली -- घर के चार कोनों में रखा जाने वाला छोटा स्तंभ - यूणाओ होति वियली' ( निभा ४२६८ ) ।
वियाउया -- पैर फटना, बिवाई - 'सीतेण वि पव्वीसु वियाउआसु फुट्टंती सु खल्लगादि पुडगे बंधति' ( निचू ३ पृ २३ ) ।
विवायार -- १ विस्तीर्ण - 'सवियारो त्ति वित्थिन्नो' ( बृभा २०२२ चू ) । २ शौच-स्थान ( निचू १ पृ ४४ ) ।
वियाल -- संध्या - 'वियाले त्ति सन्ध्यायाम्' ( विपाटी प ६९ ) ।
वियावड -- आकुल ( ओटी प १३८ ) ।
वियावत्त -- जीर्णशीर्ण, अपरिलक्षित-विधावत्तं नाम अव्यक्तमित्यर्थः, भिन्नपडियं अपागडं' ( आवहाटी १ पृ १५२ ) ।
विरमालिय -- प्रतीक्षित ( पा ५७० ) ।
विरय -- १ लघु स्रोत वाला जलाशय जो सोलह हाथ विस्तृत होता है। नदी या महागर्त में इसका संकुचन तीन हाथ विस्तृत होता है ( व्यमा ४।३ टी प ९ ) । २ छोटा जल-प्रवाह ( दे ७।३९ ) ।
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विरलि– -- वस्त्रविशेष, डोरिया ( प्रसाटी प १९१ ) ।
विरली -- चतुरिन्द्रिय प्राणी -विशेष ( उ ३६।१४७ ) ।
विरल्लिअ -- जलार्द्र, जल से भीगा हुआ ( दे ७।७१ ) ।
विरल्लित -- विकीर्ण, विस्तारित ( स्था ४।५७७ ) ।
विरल्लिय– -- विस्तारित - 'जह उल्ला साडीया आसुं सुक्कइ विरल्लिया संती' ( विभा
विरस -- वर्ष (दे ७।६२) ।
विरसमुह –-- काक, क आ
विरह–-- १ एकान्त ( विपा १।६।३१; दे ७।९१ ) । २ कुसुंभ रंग से रंगा हुआ वस्त्र (
विरहाल- -- कुसुंभ रंग से रंगा हुआ वस्त्र ( दे ७।६८ ) ।
विराय–-- विलीन, पिघल हुआ ( पा ८०२) ।
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वियरय -- १ लघु स्रोत वाला जलाशय जो सोलह हाथ विस्तृत होता है । नदी या महागर्त में इसका संकुचन तीन हाथ विस्तृत होता है ( व्यभा ४।३ टी प ६ ) । २ गर्त ( ज्ञा १।१७।२२ ) ।
वियली -- घर के चार कोनों में रखा जाने वाला छोटा स्तंभ - यूणाओ होति वियली' ( निभा ४२६८ ) ।
वियाउया -- पैर फटना, बिवाई - 'सीतेण वि पव्वीसु वियाउआसु फुट्टंती सु खल्लगादि पुडगे बंधति' ( निचू ३ पृ २३ ) ।
वि
वियाल -- संध्या - 'वियाले त्ति सन्ध्यायाम्' ( विपाटी प ६९ ) ।
वियावड -- आकुल ( ओटी प १३८ ) ।
वियावत्त -- जीर्णशीर्ण, अपरिलक्षित-विधावत्तं नाम अव्यक्तमित्यर्थः, भिन्नपडियं अपागडं' ( आवहाटी १ पृ १५२ ) ।
विरमालिय -- प्रतीक्षित ( पा ५७० ) ।
विरय -- १ लघु स्रोत वाला जलाशय जो सोलह हाथ विस्तृत होता है। नदी या महागर्त में इसका संकुचन तीन हाथ विस्तृत होता है ( व्यमा ४।३ टी प ९ ) । २ छोटा जल-प्रवाह ( दे ७।३९ ) ।
विरली -- चतुरिन्द्रिय प्राणी
विरल्लिअ -- जलार्द्र, जल से भीगा हुआ ( दे ७।७१ ) ।
विरल्लित -- विकीर्ण, विस्तारित ( स्था ४।५७७ ) ।
विरल्लिय
विरह
विराय
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