देशीशब्दकोश /447
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३७८
वालग-
१ पात्र विशेष (आचला १।१०४) । २ शकुनी - गृह
( आचूपृ ३४० ) ।
वालगपोतिया – जलमंदिर (सूर्यटीप ७०
७०)।
बालग्गपोइया - १ वलभी, अट्टालिका । २ तालाब के मध्य में स्थित छोटा
प्रासाद—'वालग्गपोइयातोय त्ति देशीपदं वलभीवाचकं,
अन्ये त्वाकाशतडागमध्य स्थितं क्षुल्लक प्रासादमेव वालग्ग-
पोइया य त्ति देशीपदाभिधेयमाहुः' ( उशाटी प ३१२ ) ।
वालग्गपोतिका – तालाब के मध्य कोड़ा करने का लघु प्रासाद - 'वालाग्र-
पोतिकाशब्दो देशी शब्दत्वादाकाशतडागमध्ये
क्रीडास्थानं लघुप्रासादमाह' ( सूर्यटीप ७० ) ।
व्यवस्थितं
वालग्गपोत्तिया–१ वलभी - वालग्गपोत्तियाओत्ति देशीयपदं वलभीवाचकम्'
(उसुटीप १४८) । २ जलमंदिर ।
वालप्प–पुच्छ, पूंछ (दे ७७५७) ।
वालवास – मस्तक का आभूषण ( दे ७ ५६) ।
वालिआफोस – कनक, सोना ( दे ७७६० ) ।
वालिंजुक – १ व्यापार के लिए एक गांव से दूसरे गांव जाने वाले
(ओटी पृ १९६) । २ कपड़े का व्यापारी (बृटी पृ ११५८ ) ।
वालिका – कान की बाली, आभूषण-
विशेष - 'वालिका कण्णवल्लीका
कण्णिका कुंडमालिका' ( अंवि पृ ७१ ) ।
वालिखरग – जलीय वनस्पति विशेष (आचू पृ ३४१ ) ।
वालिया–वाद्य- विशेष ( नि १७ ११३८ ) ।
वाली – वाद्य - विशेष, मुंह के पवन से बजाया जाने वाला तृण-वाद्य
( राज ७७; दे ७।५३) ।
शी शब्दकोश
वालीण – मत्स्य- विशेष - वालीणा सुसुमारा कच्छपमगरा' ( अंवि पृ २२८ ) ।
वालु – दूध- एगट्ट णाणवंजण दुद्ध पयो वालु खीरं च ' (जीभा ११३२) ।
हालु (कन्नड) । पाल ( तमिल ) ।
बालुंक – पक्वान्न - विशेष - खीर - दधि- पूव - कट्टरलंभे गुड-सप्पि- वडग-वालुंके
(पिनि ६३७) ।
वालुंजुक -- व्यापार के लिए एक गांव से दूसरे गांव जाने वाले
( ओटी पृ १९६ ) ।
वालुंडय - रोमकूप ( तंदु ११६) ।
वालेपतुंद –– कर्माजीवी (अंवि पृ १६१ ) ।
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वालग-
१ पात्र विशेष (आचला १।१०४) । २ शकुनी - गृह
( आचूपृ ३४० ) ।
वालगपोतिया – जलमंदिर (सूर्यटीप ७०
७०)।
बालग्गपोइया - १ वलभी, अट्टालिका । २ तालाब के मध्य में स्थित छोटा
प्रासाद—'वालग्गपोइयातोय त्ति देशीपदं वलभीवाचकं,
अन्ये त्वाकाशतडागमध्य स्थितं क्षुल्लक प्रासादमेव वालग्ग-
पोइया य त्ति देशीपदाभिधेयमाहुः' ( उशाटी प ३१२ ) ।
वालग्गपोतिका – तालाब के मध्य कोड़ा करने का लघु प्रासाद - 'वालाग्र-
पोतिकाशब्दो देशी शब्दत्वादाकाशतडागमध्ये
क्रीडास्थानं लघुप्रासादमाह' ( सूर्यटीप ७० ) ।
व्यवस्थितं
वालग्गपोत्तिया–१ वलभी - वालग्गपोत्तियाओत्ति देशीयपदं वलभीवाचकम्'
(उसुटीप १४८) । २ जलमंदिर ।
वालप्प–पुच्छ, पूंछ (दे ७७५७) ।
वालवास – मस्तक का आभूषण ( दे ७ ५६) ।
वालिआफोस – कनक, सोना ( दे ७७६० ) ।
वालिंजुक – १ व्यापार के लिए एक गांव से दूसरे गांव जाने वाले
(ओटी पृ १९६) । २ कपड़े का व्यापारी (बृटी पृ ११५८ ) ।
वालिका – कान की बाली, आभूषण-
विशेष - 'वालिका कण्णवल्लीका
कण्णिका कुंडमालिका' ( अंवि पृ ७१ ) ।
वालिखरग – जलीय वनस्पति विशेष (आचू पृ ३४१ ) ।
वालिया–वाद्य- विशेष ( नि १७ ११३८ ) ।
वाली – वाद्य - विशेष, मुंह के पवन से बजाया जाने वाला तृण-वाद्य
( राज ७७; दे ७।५३) ।
शी शब्दकोश
वालीण – मत्स्य- विशेष - वालीणा सुसुमारा कच्छपमगरा' ( अंवि पृ २२८ ) ।
वालु – दूध- एगट्ट णाणवंजण दुद्ध पयो वालु खीरं च ' (जीभा ११३२) ।
हालु (कन्नड) । पाल ( तमिल ) ।
बालुंक – पक्वान्न - विशेष - खीर - दधि- पूव - कट्टरलंभे गुड-सप्पि- वडग-वालुंके
(पिनि ६३७) ।
वालुंजुक -- व्यापार के लिए एक गांव से दूसरे गांव जाने वाले
( ओटी पृ १९६ ) ।
वालुंडय - रोमकूप ( तंदु ११६) ।
वालेपतुंद –– कर्माजीवी (अंवि पृ १६१ ) ।
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