2023-04-27 10:33:03 by श्री अयनः चट्टोपाध्यायः

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वालग-
वालग -- १ पात्र -विशेष ( आचला १।१०४ ) । २ शकुनी - गृह
( आचू पृ ३४० ) ।
 

वालगपोतिया -- जलमंदिर ( सूर्यटी प ७०
 
७०)।
 
बा
) ।
वा
लग्गपोइया -- १ वलभी, अट्टालिका । २ तालाब के मध्य में स्थित छोटा
प्रासाद - 'वालग्गपोइयातो य त्ति देशीपदं वलभीवाचकं,
अन्ये त्वाकाशतडागमध्य स्थितं क्षुल्लक प्रासादमेव वालग्ग-
पोइया य त्ति देशीपदाभिधेयमाहुः' ( उशाटी प ३१२ ) ।

वालग्गपोतिका -- तालाब के मध्य कोक्रीड़ा करने का लघु प्रासाद - 'वालाग्र-
पोतिकाशब्दो देशी शब्दत्वादाकाशतडागमध्ये
व्यवस्थितं क्रीडास्थानं लघुप्रासादमाह' ( सूर्यटी प ७० ) ।
 
व्यवस्थितं
 

वालग्गपोत्तिया -- १ वलभी - :वालग्गपोत्तियाओत्ति देशीयपदं वलभीवाचकम्'
(
( उसुटी प १४८ ) । २ जलमंदिर ।
 

वालप्प -- पुच्छ, पूंछ ( दे ७५७) ।
 
) ।
वालवास -- मस्तक का आभूषण ( दे ७ ६) ।
९ ) ।
वालिआफोस -- कनक, सोना ( दे ७६० ) ।
 

वालिंजुक -- १ व्यापार के लिए एक गांव से दूसरे गांव जाने वाले
(
( ओटी पृ १९६ ) । २ कपड़े का व्यापारी ( बृटी पृ ११५८ ) ।

वालिका -- कान की बाली, आभूषण-
विशेष - 'वालिका कण्णवल्लीका
कण्णिका कुंडमालिका' ( अंवि पृ ७१ ) ।
 

वालिखरग -- जलीय वनस्पति -विशेष ( आचू पृ ३४१ ) ।

वालिया -- वाद्य- विशेष ( नि १७१३८ ) ।
 

वाली -- वाद्य - -विशेष, मुंह के पवन से बजाया जाने वाला तृण-वाद्य
( राज ७७; दे ७।५३) ।
 
शी शब्दकोश
 

वालीण -- मत्स्य- विशेष - 'वालीणा सुसुंसुमारा कच्छपमगरा' ( अंवि पृ २२८ ) ।

वालु -- दूध - एगट् णाणवंजण दुद्ध पयो वालु खीरं च ' ( जीभा ११३२) ।
) । हालु (कन्नड) । पाल ( तमिल ) ।
 
बा

वा
लुंक -- पक्वान्न - -विशेष - -खीर - -दधि- पूव - -कट्टरलंभे गुड-सप्पि- वडग-वालुंके
(
' ( पिनि ६३७) ।
 
) ।
वालुंजुक -- व्यापार के लिए एक गांव से दूसरे गांव जाने वाले
( ओटी पृ १९६ ) ।
 

वालुंडय -- रोमकूप ( तंदु ११६) ।
) ।
वालेपतुंद ––-- कर्माजीवी ( अंवि पृ १६१ ) ।
 
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