देशीशब्दकोश /436
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वण -- १ अधिकार । २ श्बपच, चाण्डाल ( दे ७।८२ ) ।
वणइ -- वन-राजि, वृक्ष- पंक्ति ( दे ७।३८ ) ।
वणण --बुनना ( द १।१ टी ) ।
वणति -- पुष्प--विशेष ( अंवि पृ ७० ) ।
वणद्धि -- गायों का समूह ( दे ७।३८ ) ।
वणपक्कसावअ -- शरभ, श्वापद-विशेष ( दे ७।५२ ) ।
वणव -- दावानल ( दे ७।३७ ) ।
वणसवाई -- कोयल ( दे ७।५२ ) ।
वणाय -- शिकारी से आकुल, व्याध से त्रस्त ( दे ७।३५ ) ।
वणार -- दमनीय बछड़ा ( दे ७।३७ ) ।
वणुल्लय -- वन - 'वीसमइ खणे एला - वणुल्लए' ( कु पृ ३३ ) ।
वण्ण -- १ चन्दन आदि का चूर्ण - 'वण्णेहि वा उव्वट्टेइ' ( नि १।५ ) । २ अच्छ, स्वच्छ । ३ रक्त, लाल ( दे ७।८३ ) ।
वण्णग -- चंदन - 'चाउरंतचक्क वट्टिस्स वण्णगपेसिया तरुणी बनवं' ( भ १९।३४ ) ।
वण्णय -- १ श्रीखण्ड, चन्दन ( दे ७।३७ ) । २ सुगंधित चूर्ण ( वृ ) ।
वतिभेदक -- क्षुद्र जन्तु-विशेष ( अंवि पृ २३८ ) ।
वतु -- समूह ( दे ७।३२ ) ।
वत्तट्ठ -- १ सुंदर । २ बहुशिक्षित ( दे ७।८५ पा ) ।
वत्तणासी -- जलचर प्राणी-विशेष ( धंवि पृ ६९ ) ।
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वत्तद्ध -- १ सुन्दर । २ बहु-शिक्षित ( दे ७।८५ ) ।
वत्ता–-- सूत्र वल नक यंत्र, सूत्र वेष्टन यंत्र ( प्रटी प ८० ) ।
वत्तार -- गर्वित, अभिमानी ( दे ७।४१ ) ।
वत्ति- -- सीमा ( बुभा २०१; दे ७।३१ ) ।
वत्तुस्सय -- वृद्ध ( अंवि पृ १०० ) ।
वत्थउड–-- तंबू, वस्त्र से निर्मित आश्रय स्थान ( दे ७।४५ ) ।
वत्थरिका–-- बिछाने का आस्तरण ( अंवि पृ ७२ ) ।
वस्थाणो –-- वल्ली -विशेष ( प्रज्ञा टी प ३३ ) ।
वत्थाणीय–-- खाद्य-विशेष - 'हत्थेण वत्थाणीए भोच्चा कज्जं साघेंति'
( ( सूर्य १०।१७) ।
-
) ।
वत्थी–-- तापसों की कुटिया (दे ७।३१) ।
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दे ७।३१ ) ।
वणइ -- वन-राजि, वृक्ष- पंक्ति ( दे ७।३८ ) ।
वणण --बुनना ( द १।१ टी ) ।
वणति -- पुष्प--विशेष ( अंवि पृ ७० ) ।
वणद्धि -- गायों का समूह ( दे ७।३८ ) ।
वणपक्कसावअ -- शरभ, श्वापद-विशेष ( दे ७।५२ ) ।
वणव -- दावानल ( दे ७।३७ ) ।
वणसवाई -- कोयल ( दे ७।५२ ) ।
वणाय -- शिकारी से आकुल, व्याध से त्रस्त ( दे ७।३५ ) ।
वणार -- दमनीय बछड़ा ( दे ७।३७ ) ।
वणुल्लय -- वन - 'वीसमइ खणे एला - वणुल्लए' ( कु पृ ३३ ) ।
वण्ण -- १ चन्दन आदि का चूर्ण - 'वण्णेहि वा उव्वट्टेइ' ( नि १।५ ) । २ अच्छ, स्वच्छ । ३ रक्त, लाल ( दे ७।८३ ) ।
वण्णग -- चंदन - 'चाउरंतचक्क वट्टिस्स वण्णगपेसिया तरुणी बनवं' ( भ १९।३४ ) ।
वण्णय -- १ श्रीखण्ड, चन्दन ( दे ७।३७ ) । २ सुगंधित चूर्ण ( वृ ) ।
वतिभेदक -- क्षुद्र जन्तु-विशेष ( अंवि पृ २३८ ) ।
वतु -- समूह ( दे ७।३२ ) ।
वत्तट्ठ -- १ सुंदर । २ बहुशिक्षित ( दे ७।८५ पा ) ।
वत्तणासी -- जलचर प्राणी-विशेष ( धंवि पृ ६९ ) ।
वत्ता
वत्तार -- गर्वित, अभिमानी ( दे ७।४१ ) ।
वत्ति
वत्तुस्सय -- वृद्ध ( अंवि पृ १०० ) ।
वत्थउड
वत्थरिका
वत्थाणीय
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वत्थी
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