देशीशब्दकोश /395
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२२६
मकण्णी – कान का आभूषण-
विशेष (अंवि पृ ७१ ) ।
मकरिय–वाद्य-विशेष ( नि १७११३८ ) ।
मकसक – सूखा क्षेत्र (अंदि पृ १६२ ) ।
मक्कड
-
- जाल बुनने वाला कीड़ा ( दे ६ । ११६वृ ) ।
मक्कडबंध – स्वर्णसूत्र से निर्मित गले का आभरण- विशेष जो जनेऊ की भांति
बाएं कंधे के ऊपर तथा दाएं कंधे के नीचे पहना जाता है
(दे ६।१२७) ।
-
मक्कोड – यंत्र से गुंफित करने के लिए किया जाने वाला ढेर - मक्कोडो
यन्त्रगुम्फनाथं राशिश्च' (दे ६ । १४२ वृ ) ।
मक्कोडग– चींटा, मकोड़ा (आचू पृ २६० ) ।
मक्कोडय --मकोड़ा, चींटा (ओनि ५५८)।
मक्कोडा – ऊर्जापिपीलिका, मकडी ( दे ६ । १४२ ) ।
मगइय – हाथ से फेंका जाने वाला पाश (विपा ११३ । ४३ ) ।
मगदंतिगा–मालती (दअचू पृ १२८)।
मगवंतिया – १ मालती (द ५१२११४) । २ मोगरा । २ मल्लिका (बेला )
( अचू पृ १२८; हाटीप १८५) । ४ मेंहदी का गाँछ ।
-
मगरिग – आभूषण- विशेष ( जीव ३५९३) ।
मगसक-चतुरिन्द्रिय जीव-विशेष । ( अंकि पृ २३७ ) ।
मगसिर- चतुरिन्द्रिय जंतु विशेष (जीवटी प ३२ ) ।
अगहगधरच्छ – आभरण- विशेष (औप ५१ टि) ।
मगा – पश्चात् (दे १४ वृ) ।
अग्ग- पश्चात्, पीछे (आवचू १ पृ ५६ ; दे ६॥१११ ) । मग-पीछे
( मराठी ) ।
देशी शब्दकोश
मग्गय – पश्चात्, पीछे (पा ९९४) ।
मंग्गइय - हस्तपाशित, हाथ से फेंका जाने वाला फंदा (विपाटी प ६२ ) ।
मग्गओ - पीछे (नंदी १३) ।
-
मग्गण्णिर–अनुगमनशील ( दे ६ । १२४) 1
मग्गतो-- पृष्ठतः, पीछे से - अण्णयरे पुरिसे मग्गतो आगम्म'
( भ १ । ३७० ) ।
भग्गमग्गी- पीछे-पीछे (आवहाटी १ पृ २५६ ) ।
मग्गरिमच्छ – एक प्रकार का मत्स्य (प्रज्ञा ११५६ ) ।
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मकण्णी – कान का आभूषण-
विशेष (अंवि पृ ७१ ) ।
मकरिय–वाद्य-विशेष ( नि १७११३८ ) ।
मकसक – सूखा क्षेत्र (अंदि पृ १६२ ) ।
मक्कड
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- जाल बुनने वाला कीड़ा ( दे ६ । ११६वृ ) ।
मक्कडबंध – स्वर्णसूत्र से निर्मित गले का आभरण- विशेष जो जनेऊ की भांति
बाएं कंधे के ऊपर तथा दाएं कंधे के नीचे पहना जाता है
(दे ६।१२७) ।
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मक्कोड – यंत्र से गुंफित करने के लिए किया जाने वाला ढेर - मक्कोडो
यन्त्रगुम्फनाथं राशिश्च' (दे ६ । १४२ वृ ) ।
मक्कोडग– चींटा, मकोड़ा (आचू पृ २६० ) ।
मक्कोडय --मकोड़ा, चींटा (ओनि ५५८)।
मक्कोडा – ऊर्जापिपीलिका, मकडी ( दे ६ । १४२ ) ।
मगइय – हाथ से फेंका जाने वाला पाश (विपा ११३ । ४३ ) ।
मगदंतिगा–मालती (दअचू पृ १२८)।
मगवंतिया – १ मालती (द ५१२११४) । २ मोगरा । २ मल्लिका (बेला )
( अचू पृ १२८; हाटीप १८५) । ४ मेंहदी का गाँछ ।
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मगरिग – आभूषण- विशेष ( जीव ३५९३) ।
मगसक-चतुरिन्द्रिय जीव-विशेष । ( अंकि पृ २३७ ) ।
मगसिर- चतुरिन्द्रिय जंतु विशेष (जीवटी प ३२ ) ।
अगहगधरच्छ – आभरण- विशेष (औप ५१ टि) ।
मगा – पश्चात् (दे १४ वृ) ।
अग्ग- पश्चात्, पीछे (आवचू १ पृ ५६ ; दे ६॥१११ ) । मग-पीछे
( मराठी ) ।
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मग्गय – पश्चात्, पीछे (पा ९९४) ।
मंग्गइय - हस्तपाशित, हाथ से फेंका जाने वाला फंदा (विपाटी प ६२ ) ।
मग्गओ - पीछे (नंदी १३) ।
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मग्गण्णिर–अनुगमनशील ( दे ६ । १२४) 1
मग्गतो-- पृष्ठतः, पीछे से - अण्णयरे पुरिसे मग्गतो आगम्म'
( भ १ । ३७० ) ।
भग्गमग्गी- पीछे-पीछे (आवहाटी १ पृ २५६ ) ।
मग्गरिमच्छ – एक प्रकार का मत्स्य (प्रज्ञा ११५६ ) ।
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