2023-04-09 17:51:14 by श्री अयनः चट्टोपाध्यायः

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भोअ -- भाड़ा, किराया ( दे ६१०८ ) ।
 

भोइ -- १ सम्मान-सूचक सम्बोधन - भोइ त्ति भवति ! आमंत्रणमेतत्'
(
( उसुटी प २१० ) । २ पत्नी - 'भोइत्ति भारिया' ( निचू ४ पृ ६७ ) ।

भोइक -- गृहस्वामी, पति ( निचू २ पृ १८२) ।
) ।
भोइत -- गृहस्वामी, पति ( निभा १३६४) ।
 
-
 
) ।
भोइय -- १ ग्रामप्रधान, गांव का मुखिया ( उ १५।९; दे ; दे ६ । १०८ ) ।
२ गारुडिक, मंत्र तंत्र से विष उतारने वाला (उसुटी प १७४) ।
) । ३ पति ( उसुटीप २ )
 

भोइया --
१ भार्या, पत्नी ( निचू ३पृ ४८८ ) । २ वेश्या
(
( व्यभा ७ टी प ४३ ) ।
 
भोइया
 
देशी शब्दकोश
 

भोई - - भार्या ( पिनि ३६८) ।
 
) ।
भोज्ज -- गुरुस्थानीय व्यक्ति विशेष - 'भोज्जा गुरुत्थाणीया' ( आचू पृ ३३१ ) ।

भोतिग – पति (-- पति ( निचू २ पृ ३८३ ) ।
 

भोतिगा -- पत्नी ( आचू पृ ३४८ ) ।
 
भोतिया –

भोतिया --
पत्नी (निचू ३ पृ १२ ) ।
 
९२ ) ।
भोत्ती -- भार्या ( व्यभा ४२ टी प ६७) ।
) ।
भोत्तूण -- भृत्य, नौकर ( दे ६।१०६ वृ)
 
-
 
)
भोयग -- १ ग्राम का मुखिया ( आवचू २ पृ १८०) । २ पति
) । २ पति ( निभा ५०८१ ) ।
 

भोयगुग्गुलि -- कापालिक के पात्र का ढक्कन - -विशेष ( निचू २ पृ ३८) ।
) ।
भोयडा -- लाट देश में जिसे 'कच्छा' कहा जाता है, उसीको महाराष्ट्र में
 
-
 
'भोयडा' कहते हैं । कन्याएं इसे बचपन से लेकर विवाहित होने
तथा गर्भवती होने तक पहनती हैं। जब वे गर्भधारण कर लेती हैं,
तब सामूहिक भोज किया जाता है । उस भोज में सगे-संबंधी
एकत्रित होते हैं और वे तब उस गर्भवती कन्या को अन्य शाटक

पहनने के लिए देते हैं। उसके पश्चात् वह कन्या 'भोयडा' पहनना
छोड़ देती है-'भोयडा णाम जा लाडाणं कच्छा सा मरहट्ठयाणं
भोयडा भण्णति । तं च बालप्पभितितिं इत्थिया ताव बंधंति जाव
परिणीया, जाव य आवण्णसत्ता जाया ततो भोयणं कज्जति सयणं
मेलेऊण पडओ दिज्जति, तप्पभिडं फिट्टइ भोयडा ( निचू १ पृ ५२ )

भोरुड -- भारुण्ड पक्षी ( दे ६१०८ ) ।
 
-
 

भोलिय -- वंचित, ठगा हुआ - -विसएहि भोलियहं ( उसुटी प ४७)।
) ।
भोल्लय -- पाथेय - -विशेष प्रबन्ध-प्रवृ पाथेय, य त्रा - पाथेय ( दे ६।१०८) ।
 
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) ।