देशीशब्दकोश /384
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(
भंडु
भंतिय -- तृण-
भंभब्भूय -- दुःख में निकलने वाली भाँ भाँ की आवाज (भ ७
भंभल -- १ अप्रिय । २ मूर्ख ( दे ६
भंभा
भंभाभूय
भंभी
भंसला -- कलह - 'विसयप्पसिद्धासु भंसलासु' ( आवहाटी २ पृ १६६
भंसुरुला
भंसुल -- क्रीडा के समय उछलने वाले रजकण - :भंसुला क्रीडोत्क्षिप्तरेण्वादि
भगव -- गोत्र
भग्ग -- लिप्त ( दे ६।९
भच्चय -- भानजा (बृभा ५११५ ) ।
भज्जि
भट्ट -- १ आदरसूचक संबोधन ( द ७
भट्टि -- आदरसूचक संबोधन ( दअचू पृ १६
भट्टिअ
भट्ट -- १ पुत्र रहित स्त्री के लिए प्रयुक्त संबोधन- 'भट्टेति
भट्ठि -- धूलरहित मार्ग ( भ ७।११७ ) ।
भत्तिजग
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अब्भरहितव यां
लाडाणं पति-
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