देशीशब्दकोश /375
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फोअ— भयोत्पादक ध्वनि, डराने की आवाज ( दे ६१८६ वृ) ।
फोइअय – १ मुक्त । २ विस्तारित ( दे ६६८७) ।
—
फोंफा–भयोत्पादक ध्वनि, डराने की आवाज ( दे ६ । ८६ ) - तरुण दट्ठू
करइ तह फोंफ' (वृ) ।
फोक्क– उभरा हुआ मोटा नाक- 'फोक्क' देशीपदं, अग्र स्थूलोन्नता च
नासाऽस्येति फोक्कनास: ( उसुटीप १७६) ।
फोड – भक्षक - 'बहुफोडे त्ति बहुभक्षका : ' (ओभा १९१ टी) ।
फोडिअय – १ राई से बघारा हुआ शाक आदि । २ रात्रि के समय जंगल में
सिंह आदि हिंसक प्राणियों से बचने का एक उपाय ( दे ६६८८ ) ।
फोडित - राई आदि से बघारा हुआ- उवरि धूमणेण धोवितं फोडितं
'भण्णति' (निचू २ पृ ६५) ।
फोप्फल – गंध द्रव्य-विशेष, एक प्रकार की औषधि जो मृदु रेचन के लिए
काम आती है - महुर विरेअणमेसो कायव्वो फोप्फलाइद व्वेहि '
(मत्त ४२ ) ।
फोफल – एक प्रकार की औषधि ( प्रसाटी प ७५ ) ।
फोफस- - शरीर का अवयव - विशेष ( तंदु ११६) ।
-
फोस – १ अपानदेश, गुदा- सउणिप्कोस - पिट्ठ तरोरुपरिणया' ( तंदु ६७) ।
२ उद्गम (दे ६६८६) ।
बइट्ठ – बैठा हुआ (आवचू २ पृ ३५ ) ।
बइल्ल - - बैल (दश्रुनि ६१ ; दे ६।६१ ) ।
बउसी – देश-विशेष की दासी (ज्ञा १११॥८२ ) ।
देशी शब्दकोश
बडहारी - बुहारी, झाडू (दे ६॥९७ वृ) ।
बंदण – कैदी, बंदी - जावज्जीवबंदणो कीरिस्सामि' ( नंदीटि पृ १३९)
-
बंध – भृत्य, नौकर (दे ६।८८) ।
बंधोल्ल–मेल, संगति ( दे ६८६) ।
बंभच्च - गोत्र - विशेष (अंवि पृ १५० ) ।
बंभणिआ-कीट विशेष (दअचू पृ १८९; दे ६४९० ) ।
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फोअ— भयोत्पादक ध्वनि, डराने की आवाज ( दे ६१८६ वृ) ।
फोइअय – १ मुक्त । २ विस्तारित ( दे ६६८७) ।
—
फोंफा–भयोत्पादक ध्वनि, डराने की आवाज ( दे ६ । ८६ ) - तरुण दट्ठू
करइ तह फोंफ' (वृ) ।
फोक्क– उभरा हुआ मोटा नाक- 'फोक्क' देशीपदं, अग्र स्थूलोन्नता च
नासाऽस्येति फोक्कनास: ( उसुटीप १७६) ।
फोड – भक्षक - 'बहुफोडे त्ति बहुभक्षका : ' (ओभा १९१ टी) ।
फोडिअय – १ राई से बघारा हुआ शाक आदि । २ रात्रि के समय जंगल में
सिंह आदि हिंसक प्राणियों से बचने का एक उपाय ( दे ६६८८ ) ।
फोडित - राई आदि से बघारा हुआ- उवरि धूमणेण धोवितं फोडितं
'भण्णति' (निचू २ पृ ६५) ।
फोप्फल – गंध द्रव्य-विशेष, एक प्रकार की औषधि जो मृदु रेचन के लिए
काम आती है - महुर विरेअणमेसो कायव्वो फोप्फलाइद व्वेहि '
(मत्त ४२ ) ।
फोफल – एक प्रकार की औषधि ( प्रसाटी प ७५ ) ।
फोफस- - शरीर का अवयव - विशेष ( तंदु ११६) ।
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फोस – १ अपानदेश, गुदा- सउणिप्कोस - पिट्ठ तरोरुपरिणया' ( तंदु ६७) ।
२ उद्गम (दे ६६८६) ।
बइट्ठ – बैठा हुआ (आवचू २ पृ ३५ ) ।
बइल्ल - - बैल (दश्रुनि ६१ ; दे ६।६१ ) ।
बउसी – देश-विशेष की दासी (ज्ञा १११॥८२ ) ।
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बडहारी - बुहारी, झाडू (दे ६॥९७ वृ) ।
बंदण – कैदी, बंदी - जावज्जीवबंदणो कीरिस्सामि' ( नंदीटि पृ १३९)
-
बंध – भृत्य, नौकर (दे ६।८८) ।
बंधोल्ल–मेल, संगति ( दे ६८६) ।
बंभच्च - गोत्र - विशेष (अंवि पृ १५० ) ।
बंभणिआ-कीट विशेष (दअचू पृ १८९; दे ६४९० ) ।
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