देशीशब्दकोश /368
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पोतित -- १ स्पन्दित - 'पोतितं ति देशीवचनत्वादितस्ततः स्पन्दितम्'
-
२ त्रासित (बू बृटी पृ ४३४) ।
@@@ ) ।
पोतिय -- हलवाई ( निचू ३ पृ १०६ ) ।
पोत्तअ–-- वृषण, अण्डकोश ( दे ६ । ।६२ ) ।
पोत्तग –-- सूती वस्त्र ( अआचूला ५११ ) ।
—
।१ ) ।
पोत्तणय - वस्त्र - - वस्त्र-विशेष ( जीभा १७६६)
पोत्तय- -९ ) ।
पोत्तय -- रूई से निष्पन्न वस्त्र–- 'साणयं पोत्तयं खोमियं' ( आचूला ५।१७ ) ।
पोत्तिय–-- १ रूई से पिष्पन्न वस्त्र ( स्था ५३१६।१९० ) । २ तापसों का एक
प्रकार ( औप ६४ ) ।
९४ ) ।
पोत्तिया -- चतुरिन्द्रिय जंतु- विशेष ( भ १५।१८६ ) ।
-
पोत्ती - १ वस्त्र (- १ वस्त्र ( भ६ ९।१८८ ) २ काच ( दे ६१।६३ ) ।
पोतुल्लया–-- वस्त्रमय पुतली (ज्ञा ११।१८१।८ ) ।
पोदइल -- तृण- विशेष ( भ २१ । ।१९ ) ।
पोप्पण -- हाथ का स्पर्श ( आवचू १
पृ ९० ) ।
पोप्पय -- हाथ का स्पर्श - 'तेण उदरपोप्पयं करेंतेणं कहवि सा जोणिहाद्दारे
हत्थेण आहता' ( आवहाटी १ पृ ४४ ) ।
पोप्फस–-- फेफड़ा, शरीर का अवयव विशेष ( प्र ११११ ) ।
।११ ) ।
पोम–-- कुसुम्भ- रक्तवस्त्र - 'पोमं ति कुसुंभयं' ( निचू १ पृ १०० ) ।
पोमर -- कुसुम्भ से रंगा हुआ वस्त्र ( दे ६।६३) ।
) ।
पोयलि–-- पूआ ( दअचू पृ ११४) ।
) ।
पोया -- वाद्य - -विशेष ( भ ५१६४) ।
।६४ ) ।
पोयाल–-- १ बच्चा, शिशु ( ओनि ४४७ ) । २ वृषभ, बलिवर्द
( ( व्यमा ४१भा ४।१ टी प २०) ।
पोरपोर -- पर्व ( व्यमाभा ८ टीप ४ ) ।
प ४ ) ।
पोरग -- हरित वनस्पति -विशेष ( प्रज्ञा ११४४।१) ।
-
।४४।१ ) ।
पोरच्छ- -- दुर्जन ( दे ६।६२ ) ।
पोरयपोरय -- खेत, क्षेत्र ( दे ६।२६ ) ।
-
पोरायाम -- अंगूठे के पर्व पर तर्जनी अंगुली के रखने पर जितनी पोलाल
रहती है वह ( ओनि ७०७) ।
) ।
पोरु -- गांठ ( सूचू २ पृ ३७९) ।
-
) ।
पोरुस -- शरीर का अवयव - -विशेष ( अंवि पृ १३४) ।
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) ।
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पोतिय -- हलवाई ( निचू ३ पृ १०६ ) ।
पोत्तअ
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पोत्तणय -
पोत्तय- -
पोत्तय -- रूई से निष्पन्न वस्त्र
पोत्तिय
पोत्तिया -- चतुरिन्द्रिय जंतु-
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पोतुल्लया
पोदइल -- तृण-
पोप्पण -- हाथ का स्पर्श ( आवचू १
पोप्फस
पोम
पोमर -- कुसुम्भ से रंगा हुआ वस्त्र ( दे ६।६३
पोयलि
पोया -- वाद्य
पोयाल
(
पोर
पोरग -- हरित वनस्पति
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पोरच्छ
पोरय
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पोरायाम -- अंगूठे के पर्व पर तर्जनी अंगुली के रखने पर जितनी पोलाल
पोरु -- गांठ ( सूचू २ पृ ३७९
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पोरुस -- शरीर का अवयव
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