देशीशब्दकोश /365
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देशी शब्दकोश
पेलुकरण - पूनी कातने का उपकरण विशेष जिसे महाराष्ट्र में पेलु कहते हैं-
'पेलुकरणादि लाटविषये रूतप्राणिका, महाराष्ट्र विषये सैव
पेलुरि
पेल्लग – बालक, बच्चा (उचू पृ८८ ) ।
पेल्लण – १ क्षेपण । २ पीडन (उसुटी प ३४) । ३ आक्रमण - पेल्लणं
अक्कमणं' (निचू ४ पृ १४०) ।
पेल्लय – बच्चा, शिशु (विपा १
पेल्लिका – गृह उपकरण विशेष ( अंवि पृ ७२) ।
पेल्लित - १ लूट लिया- 'जणे गते गोट्ठील्ल ए
(आवहाटी २ पृ २२१ ) । २ आक्रान्त - 'अवि अंबखुज्ज पादेण
पेल्लितो अंतरंगुलगओ वा ( निभा
पेल्लिय - १ शिशु (जीभा ५३६ ) । २ पीड़ित (जीभा १३७; दे ६५७ ) ॥
३ क्षिप्त, पातित (व्या ४
पेस – १ कार्य, प्रयोजन (दश्रु
पशुओं की चमड़ी से निष्पन्न वस्त्र ( आचूला ५
सिन्धुविषय एव सूक्ष्मचर्माणः पशवः तच्चर्मनिष्पन्नानि (टीप ३
पेसण – कार्य ( ज्ञा १।७।२६; दे ६।५७)।
पेसणआरी–दूती, दूतकर्म करने वाली (दे ६।५
पेसणकारिया - बाहरी कार्यों को निपटाने के लिए नियुक्त स्त्री - बाह्यानि
प्रेषणानि कर्माणि करोति या सा' (ज्ञाटीप १२६ ) ।
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पेसलेस - सिन्धु देश के पेश नामक पशु-चर्म के सूक्ष्म पक्ष्म से निष्पन्न वस्त्र
(आचूला ५
पेसी – फल का चतुर्थांश (आचू पृ ३६७) ।
पेहुण- १ मोर पंख - पेहुणं मोरपिच्छगं वा' । २ अन्य किसी भी पक्षी का मोर
जैसा पंख - अण्णं किंचि वा तारिसं पिच्छं' (दजिचू पृ १५६ ) ।
३ मयूर - पिच्छ से निष्पन्न - पेहुणं मोरगं' (दअचू पृ ८
पंख - 'पिच्छम्मि पेहुणं' ( दे ६
( बृभा ४६३८ ) ।
पेहुण
वा' (जीव ३
पोअ- १ धव का वृक्ष । २ छोटा सांप ( दे ६
( दे ६ । ६३ ) ।
पोअइआ - निद्राकरी लता
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