देशीशब्दकोश /343
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२७४
परिण ---पण्य, बेचने योग्य वस्तु ( अंवि पृ २५३ ) ।
पृ
परित्थड- -विधि, वृत्तान्त - दिट्ठो य रण्णो अंबगहणपरित्थडो' (निचू १ पृ९ ) ।
परिपदणय – अभिनय - सा अप्पणी परिपदणयं करेति' (आवचू १ पृ ५२५ )
परिपरि – वाद्य-विशेष (नि १७ १३९) ।
परिपरिया--वाद्य- विशेष ( राज ७१ पा) 1
परिपिरिया- - वाद्य - विशेष ( भ ५/६४ पा) ।
देशी शब्दकोश
परिपूणक–१ सुघरी नामक पक्षी का घोसला । २ घी छानने का साधन-
सुधरी पक्षी के घोसले से घी छाना जाता है । घी का कचरा
भीतर रह जाता है और घी छनकर बाहर आ जाता है-
'परिपूणको नाम सुघरीचिटिकाविरचितो नीड विशेषः, तेन च
घृतं गाल्यते ततस्तत्र कचवरमवतिष्ठते घृतं तु गलित्वा अध:
पतति' (नंदीटि पृ १०५) ।
परिपूणग- छानने का एक साधन जिससे घेवर का 'घोल' छाना जाता है ।
सार-सार नीचे झर जाता है और कल्मष अन्दर रह जाता है -
'परिपूणको नाम येन घृतपूर्णयोग्यं पानं गाल्यते, तत्र सारो
गलति कल्मषं तिष्ठति' (बृटी पृ १०४ ) ।
परिब्भंत - १ निषिद्ध । २ भीरु ( दे ६।७२) ।
परिम्भुसित - बुभुक्षित - 'अहवा वि परिब्भुसितस्स मणुण्णं होति पंतं पि'
(निचू २ पृ १२७ ) ।
परिमास - नौका का काष्ठ- विशेष (ज्ञाटी प १६६ ) ।
परियच्छ – दलाल ( स्थाटीप ३६ ) ।
परियल्ल – परत ( निभा ५८०१ ) ।
परियाण-
परिपूर्ण- देति फलं विज्जाओ, पुरिसाणं भागधेज्जपरियाणं ।
न हु भागधेज्जपरिवज्जियस्स विज्जा फलं देति ॥' (चं १८) ।
परिरय - १ पर्याय, समानार्थक शब्द - - 'एगपरिरयं ति वा एगपडिरयं ति वा
एगपज्जायं ति वा एगणामभेदं ति वा एगट्ठा ( आवचू १पृ २६)
परिलिअ - लीन, आसक्त ( दे ६ २४) ।
परिली - १ मुंह की हवा से बजाया जाने वाला एक प्रकार का बाजा-
'फूमिज्जताणं वंसाणं वेलूणं वालाणं परिलीणं बद्धगाणं'
( राज ७७ ) । २ गुच्छ वनस्पति की एक जाति ( प्रज्ञा १ । ३७७५)।
परिल्ल - अपर ( से ६।१७ ) ।
परिल्लवास– अज्ञात गति वाला (दे ६ । ३३ ) ।
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परिण ---पण्य, बेचने योग्य वस्तु ( अंवि पृ २५३ ) ।
पृ
परित्थड- -विधि, वृत्तान्त - दिट्ठो य रण्णो अंबगहणपरित्थडो' (निचू १ पृ९ ) ।
परिपदणय – अभिनय - सा अप्पणी परिपदणयं करेति' (आवचू १ पृ ५२५ )
परिपरि – वाद्य-विशेष (नि १७ १३९) ।
परिपरिया--वाद्य- विशेष ( राज ७१ पा) 1
परिपिरिया- - वाद्य - विशेष ( भ ५/६४ पा) ।
देशी शब्दकोश
परिपूणक–१ सुघरी नामक पक्षी का घोसला । २ घी छानने का साधन-
सुधरी पक्षी के घोसले से घी छाना जाता है । घी का कचरा
भीतर रह जाता है और घी छनकर बाहर आ जाता है-
'परिपूणको नाम सुघरीचिटिकाविरचितो नीड विशेषः, तेन च
घृतं गाल्यते ततस्तत्र कचवरमवतिष्ठते घृतं तु गलित्वा अध:
पतति' (नंदीटि पृ १०५) ।
परिपूणग- छानने का एक साधन जिससे घेवर का 'घोल' छाना जाता है ।
सार-सार नीचे झर जाता है और कल्मष अन्दर रह जाता है -
'परिपूणको नाम येन घृतपूर्णयोग्यं पानं गाल्यते, तत्र सारो
गलति कल्मषं तिष्ठति' (बृटी पृ १०४ ) ।
परिब्भंत - १ निषिद्ध । २ भीरु ( दे ६।७२) ।
परिम्भुसित - बुभुक्षित - 'अहवा वि परिब्भुसितस्स मणुण्णं होति पंतं पि'
(निचू २ पृ १२७ ) ।
परिमास - नौका का काष्ठ- विशेष (ज्ञाटी प १६६ ) ।
परियच्छ – दलाल ( स्थाटीप ३६ ) ।
परियल्ल – परत ( निभा ५८०१ ) ।
परियाण-
परिपूर्ण- देति फलं विज्जाओ, पुरिसाणं भागधेज्जपरियाणं ।
न हु भागधेज्जपरिवज्जियस्स विज्जा फलं देति ॥' (चं १८) ।
परिरय - १ पर्याय, समानार्थक शब्द - - 'एगपरिरयं ति वा एगपडिरयं ति वा
एगपज्जायं ति वा एगणामभेदं ति वा एगट्ठा ( आवचू १पृ २६)
परिलिअ - लीन, आसक्त ( दे ६ २४) ।
परिली - १ मुंह की हवा से बजाया जाने वाला एक प्रकार का बाजा-
'फूमिज्जताणं वंसाणं वेलूणं वालाणं परिलीणं बद्धगाणं'
( राज ७७ ) । २ गुच्छ वनस्पति की एक जाति ( प्रज्ञा १ । ३७७५)।
परिल्ल - अपर ( से ६।१७ ) ।
परिल्लवास– अज्ञात गति वाला (दे ६ । ३३ ) ।
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