2023-03-31 19:53:12 by श्री अयनः चट्टोपाध्यायः

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पट्टुहिअ -- कलुषित पानी, हिलाया-डुलाया हुआ पानी ( पा १५८ ) ।
पट्ठिसंग -- ककुद, बैल के कंधे का कूबड़ ( दे ६।२३ ) ।
पडंचा -- प्रत्यंचा, धनुष की डोरी ( दे ६।१४ ) ।
पडंसुआ -- प्रत्यंचा, धनुष की डोरी ( दे ६।१४ ) ।
पडक -- उद्भिज्ज जन्तु की एक जाति ( अंवि पृ २२९ ) ।
पडच्चर -- साले की भांति हंसी-मजाक करने वाला विदूषक आदि ( दे ६।२५ ) ।
पडप्पयार -- बहाना, मिष - 'इमेण दिव्व-चित्तयम्म-पडप्पयारेण कारणंतरं किं पि चिंतयंतो दिव्वो देवलोयाओ समागओ त्ति' ( कु पृ १९० ) ।
पडमट् -- खाद्य-विशेष ( अंवि पृ ७१ ) ।
पडल -- नीव्र, मिट्टी का बना हुआ एक प्रकार का खपड़ा जिससे मकान छाये जाते हैं ( दे ६।५ ) ।
पडलग -- टोकरी - 'पुप्फपडलगं वा पुप्फछज्जियं वा' ( राज १२ ) ।
पडवा -- पट-कुटी, तम्बू ( दे ६।६ ) ।
ड्हत्थिग -- भाजन-विशेष ( आवचू २ पृ ७० ) ।
पडाग -- मत्स्य का एक प्रकार ( प्रज्ञा १।५६ ) ।
पडाल -- फलक, मुष्टि ( दश्रुचू प ७४ ) ।
पडालिका -- गृह उपकरण, चटाई आदि ( अंवि पृ ७२ ) ।
पडाली -- १ कच्ची छत, चटाई आदि से छाया हुआ स्थान ( निचू २ पृ ४२० ) । २ छोटी कुटिया (आवटिप ३६ ) । ३ पंक्ति, श्रेणी ( बृभा ११०७; दे ६।९ ) ।
पडिअ -- विघटित, वियुक्त ( ६।१२ ) ।
पडिअंतअ -- कर्मकर, नौकर ( दे ६।३२ ) ।
पडिअग्गिअ -- १ परिभुक्त । २ वर्धापित । ३ पालित ( दे ६।७४ ) । ४ अनुव्रजित, अनुसृत ( वृ ) ।
पडिअज्झअ -- उपाध्याय ( दे ६।३१ ) ।
पडिअट्टलिय -- घृष्ट, घिसा हुआ ( से ६।३१ ) ।
पडिअर -- चूल्हे का मूल भाग ( दे ६।१७ ) ।
पडिअलि -- त्वरित, वेगयुक्त ( दे ६।२८ ) ।
पडिएल्लिअ -- कृतार्थ ( दे ६।३२ ) ।
पडिएल्लिआ -- कृतार्थता - 'पडिरंजिअपडिमाए किं रे पडिएल्लिआइ होइ फलं' ( दे ६।३२ वृ ) ।