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पंचावण्ण– पचपन की संख्या ( दे ६ । २७ ) ।
 
पंजर - १ आचार्य, उपाध्याय, प्रवर्तक, स्थविर और गणावच्छेदक-इन पांचों
का समुदाय । २ आचार्य आदि की परस्पर सारणा । ३ प्रायश्चित्त
आदि के द्वारा अकुशल प्रवृत्ति से निवारण करना
 
( व्यभा २ टी प२८ ) । ४ जलवायु विशेषज्ञ - पंजरपुरिसेण उत्तर-
दिसाए दिट्ठ एक्कं सुप्पमाणं कज्जलकसिणं मेहपडलं' ( कुपृ १०६ ) ।
पंडरंग- १ शिवभक्त संन्यासी (बूटी पृ १३८६) । २ रुद्र, शिव
(दे ६ २३) ।
 
पंडरकुड्डग -- ग्वालों की जाति विशेष-अम्हे पंडरकुड्डगा रायगिहे गोवाला
पसिद्धा' (नंदीटि पृ १३४) ।
 
देशी शब्दकोश
 
पंडविअ - जलार्द्र, पानी से भीगा हुआ ( दे ६।२० ) ।
 
पंडु – सफेद मिट्टी, धूसर मिट्टी - पाण्डुमृत्तिका नाम देशविशेषे या धूलिरूपा
सती पाण्डू इति प्रसिद्धा' (जीवटीप २३) ।
 
पंडुइय-तिरस्कृत, प्रताड़ित ( निभा १६८५ ) - तम्मि घरासे पंडुइया भ्रंसिया'
(चू) ।
 
पंडुल्लुइय- पांडुर वर्ण वाला (आवचू १ पृ २०६ ) ।
 
पंतावणा - लकड़ी, मुष्टि आदि से मारना - यष्टिमुष्ट्यादिभिस्ताडना'
(बृभा ८९६ टी पृ २८५ ) ।
 
पंति – वेणी, केश - रचना ( दे ६।२ ) ।
 
पंथच्छुहणी - ससुराल से पहली बार आनीत वधू ( दे ६ । ३५ ) ।
पंथोलग - क्षुद्र जंतु विशेष (विपृ २३८) ।
 
पंपुअ - दीर्घ ( दे ६ । १२) ।.
 
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पंपोट- बहुबीज वाली वनस्पति ( प्रसाटी प५८ ) ।
पंफुल्लिअ— गवेषित, खोजा हुआ (दे ६।१७) ।
 
रोका
 
पंसुल- १ कोयल, कोकिल । २ जार, उपपति (दे ६।६६) । ३ रुद्ध,
हुआ।
 
पंसुलिगा -- पाश्र्वं की हड्डी ( प्र ३।१२ ) ।
 
पंसुलिया- पार्श्व की हड्डी ( प्रसाटी १४०२ ) ।
 
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पंसुली – पार्श्व की हड्डी, पसली ( तंदु १४२ ) । पांसली ( राज) ।
१ दृप्त, उन्मत्त । २ समर्थ (दे ६।६४) ।
 
पक्क-
व्यक्कग्गाह – १ मगरमच्छ (दं ६६२३ ) । २ पानी में रहने वाला सिहाकार
जलजन्तु – 'पक्कग्गाहो जलसिंहे देशी ( से ५८ ५७)।
 
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