2023-03-31 18:43:45 by श्री अयनः चट्टोपाध्यायः
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पंचावण्ण– -- पचपन की संख्या ( दे ६ । ।२७ ) ।
पंजर -- १ आचार्य, उपाध्याय, प्रवर्तक, स्थविर और गणावच्छेदक-इन पांचों
का समुदाय । २ आचार्य आदि की परस्पर सारणा । ३ प्रायश्चित्त
आदि के द्वारा अकुशल प्रवृत्ति से निवारण करना
( व्यभा २ टी प२८ ) । ४ जलवायु विशेषज्ञ - पंजरपुरिसेण उत्तर-
दिसाए दिट्ठठं एक्कं सुप्पमाणं कज्जलकसिणं मेहपडलं' ( कु पृ १०६ ) ।
पंडरंग -- १ शिवभक्त संन्यासी (बू बृटी पृ १३८६ ) । २ रुद्र, शिव
( ( दे ६ ।२३) ।
) ।
पंडरकुड्डग -- ग्वालों की जाति विशेष-अम्हे पंडरकुड्डगा रायगिहे गोवाला
पसिद्धा' ( नंदीटि पृ १३४) ।
देशी शब्दकोश
) ।
पंडविअ -- जलार्द्र, पानी से भीगा हुआ ( दे ६।२० ) ।
पंडु –-- सफेद मिट्टी, धूसर मिट्टी - पाण्डुमृत्तिका नाम देशविशेषे या धूलिरूपा
सती पाण्डू इति प्रसिद्धा' ( जीवटी प २३) ।
) ।
पंडुइय- -- तिरस्कृत, प्रताड़ित ( निभा १६८५ ) - तम्मि घरासे पंडुइया भ्रंसिया'
( ( चू) ।
) ।
पंडुल्लुइय -- पांडुर वर्ण वाला ( आवचू १ पृ २०६ ) ।
९ ) ।
पंतावणा -- लकड़ी, मुष्टि आदि से मारना - यष्टिमुष्ट्यादिभिस्ताडना'
( ( बृभा ८९६ टी पृ २८५ ) ।
पंति –-- वेणी, केश - रचना ( दे ६।२ ) ।
पंथ
पंथुच्छुहणी -- ससुराल से पहली बार आनीत वधू ( दे ६ । ।३५ ) ।
पंथोलग -- क्षुद्र जंतु -विशेष ( अंवि पृ २३८) ।
) ।
पंपुअ -- दीर्घ ( दे ६ । १२) ।.
-
।१२ ) ।
पंपोट -- बहुबीज वाली वनस्पति ( प्रसाटी प ५८ ) ।
पंफुल्लिअ— -- गवेषित, खोजा हुआ ( दे ६।१७) ।
रोका
) ।
पंसुल -- १ कोयल, कोकिल । २ जार, उपपति ( दे ६।६६) । ३ रुद्ध,
रोका हुआ।
पंसुलिगा -- पार्श्र्वंव की हड्डी ( प्र ३।१२ ) ।
पंसुलिया -- पार्श्व की हड्डी ( प्रसाटी १प ४०२ ) ।
-
पंसुली –-- पार्श्व की हड्डी, पसली ( तंदु १४२ ) । पांसली ( राज) ।
) ।
पक्क -- १ दृप्त, उन्मत्त । २ समर्थ ( दे ६।६४) ।
पक्क-
व्य ) ।
पक्कग्गाह –-- १ मगरमच्छ ( दं ६६।२३ ) । २ पानी में रहने वाला सिसिंहाकार
जलजन्तु –- 'पक्कग्गाहो जलसिंहे देशी ( से ५८ ।५७)।
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) ।