देशीशब्दकोश /316
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देशी शब्दकोश
दिअहुत – पूर्वाह्न का भोजन ( दे ५२४० ) ।
दिआहम -- भासपक्षी (दे ५८३६) ।
दिक्करअ - बच्चा (आवमटी प १३६) ।
दिक्करिका - दुहिता, पुत्री (आवहाटी १ पृ २६७ ) । दीकरी ( गुजराती ) ।
दिक्करुय–पतली डोरी ( व्यभा २ टी प ४४ ) ।
बिगिछा--- क्षुधा, बुभुक्षा- दिगिछत्ति देशी वचनेन बुभुक्षो च्यते' (उशाटी प८२ ) ।
दिट्ठिल्लिय–देखा हुआ (उसुटी प ६५ ) ।
दिण्णेल्लिय – दिया (आवहाटी १ पृ २८६)।
दिप्यंत – अनर्थ ( दे ५१३१ ) ।
दिय – दिवस ( बृभा २७६७; दे ५।३१) ।
-
दियल – शाखा- 'दियलम्मि ओलइया' (व्यभा १० टीप ८० ) ।
दिरुल – तिर्यञ्च जाति विशेष (अंवि पृ २३८ ) ।
दिलिवेढय - ग्राह-विशेष. जलजन्तु की एक जाति ( प्र ११५ ) ।
दिल्लि दिलिअ-शिशु, बालक ( दे ५०४०)।
दिल्लिदिलिआ – बालिका (पा ६६ )
दिव्वासा – चामुण्डा देवी ( दे ५।३६ ) ।
वीणार -- सोने का सिक्का (आवचू १ पृ ४४६ ) ।
दीणारमालिआ — गले का आभूषण- विशेष - 'दीनाराद्याकृतिमणिकमाला'
( जंबूटी प १०५ ) ।
दोणारमासक – स्वर्ण-सिक्का ( अंवि पृ ६६) ।
दीणारी - सोने का सिक्का ( अंति पृ ७२) ।
-
दीपकाण – काणा, एक आंख वाला - काणा दीपकाणा फरला इत्यर्थः
( प्रटीप २५ ) ।
दीवअ – कृकलास, गिरगिट ( दे ५९४१) ।
दोवालिका – दीपावली के अवसर पर बनाया जाने वाला खाद्य
विशेष
( अंवि पृ १५२ ) ।
२४७
दोविआ - १ उपदेहिका, उदई (जीभा ५३८; दे ५२५३ ) । २ शाकुनिक
पक्षीघातक व्यक्ति द्वारा अन्य पक्षियों को आकृष्ट करने के लिए
पिंजरे में रखा गया तीतर पक्षी (ज्ञाटी प २४० ) । ३ व्याध की
रिणी जो दूसरे हरिणों को आकृष्ट करने के लिए रखी जाती है
( दे ५१५३ ) ।
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दिअहुत – पूर्वाह्न का भोजन ( दे ५२४० ) ।
दिआहम -- भासपक्षी (दे ५८३६) ।
दिक्करअ - बच्चा (आवमटी प १३६) ।
दिक्करिका - दुहिता, पुत्री (आवहाटी १ पृ २६७ ) । दीकरी ( गुजराती ) ।
दिक्करुय–पतली डोरी ( व्यभा २ टी प ४४ ) ।
बिगिछा--- क्षुधा, बुभुक्षा- दिगिछत्ति देशी वचनेन बुभुक्षो च्यते' (उशाटी प८२ ) ।
दिट्ठिल्लिय–देखा हुआ (उसुटी प ६५ ) ।
दिण्णेल्लिय – दिया (आवहाटी १ पृ २८६)।
दिप्यंत – अनर्थ ( दे ५१३१ ) ।
दिय – दिवस ( बृभा २७६७; दे ५।३१) ।
-
दियल – शाखा- 'दियलम्मि ओलइया' (व्यभा १० टीप ८० ) ।
दिरुल – तिर्यञ्च जाति विशेष (अंवि पृ २३८ ) ।
दिलिवेढय - ग्राह-विशेष. जलजन्तु की एक जाति ( प्र ११५ ) ।
दिल्लि दिलिअ-शिशु, बालक ( दे ५०४०)।
दिल्लिदिलिआ – बालिका (पा ६६ )
दिव्वासा – चामुण्डा देवी ( दे ५।३६ ) ।
वीणार -- सोने का सिक्का (आवचू १ पृ ४४६ ) ।
दीणारमालिआ — गले का आभूषण- विशेष - 'दीनाराद्याकृतिमणिकमाला'
( जंबूटी प १०५ ) ।
दोणारमासक – स्वर्ण-सिक्का ( अंवि पृ ६६) ।
दीणारी - सोने का सिक्का ( अंति पृ ७२) ।
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दीपकाण – काणा, एक आंख वाला - काणा दीपकाणा फरला इत्यर्थः
( प्रटीप २५ ) ।
दीवअ – कृकलास, गिरगिट ( दे ५९४१) ।
दोवालिका – दीपावली के अवसर पर बनाया जाने वाला खाद्य
विशेष
( अंवि पृ १५२ ) ।
२४७
दोविआ - १ उपदेहिका, उदई (जीभा ५३८; दे ५२५३ ) । २ शाकुनिक
पक्षीघातक व्यक्ति द्वारा अन्य पक्षियों को आकृष्ट करने के लिए
पिंजरे में रखा गया तीतर पक्षी (ज्ञाटी प २४० ) । ३ व्याध की
रिणी जो दूसरे हरिणों को आकृष्ट करने के लिए रखी जाती है
( दे ५१५३ ) ।
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