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"सआयाम आसयसेन्नं तुह पेच्छिय जाय-आउर आलीला ।
आलत्थपिच्छच्छत्ते छड्डिय रिउणो अणाउसा जंति ॥ १॥५३॥६५ ।
 
इसमें शत्रुओं की पराजय का सुन्दर चित्रण करते हुए कहा गया है
कि हे राजन् ! तुम्हारी शक्तिशाली सेना को निकट आयी जानकर युद्ध के
निकटवर्ती भय से भयभीत तुम्हारे शत्रु मयूरपिच्छीनिष्पन्न छत्रों को छोड़कर
बिना दाढ़ी-मूंछ वाले मर्द बनकर युद्ध क्षेत्र से पलायन कर रहे हैं । इस
वर्ण्य प्रसंग के आधार पर यह स्पष्ट है कि यहां 'आउस' का अर्थ कूंची नहीं,
दाढ़ी मूंछ ही होना चाहिए ।
 
इसी प्रकार 'आहुंदुर' (१९६६) शब्द का अर्थ हेमचन्द्र ने 'बाल'
किया है। रामानुजस्वामी ने 'बाल' का अर्थ पूंछ (T: il) किया है, जो
ठीक नहीं है । निम्न उदाहरण गाथा के संदर्भ में इसका 'बालक' अर्थ उचित
प्रतीत होता है—
 
आमोरय ! सिरिआसंग ! तए आहुंदुरा करि-हरीण ।
मित्त-आसवण-अमित्तआलयण-दुवारेसु संघडिया ॥ १ ॥५४॥६६॥
 
'हे विशेषज्ञ ! लक्ष्मी के वासगृह ! तुमने मित्रों के गृहद्वारों पर
हाथी के बच्चों का तथा शत्रुओं के गृहद्वारों पर बंदर के बच्चों का संघटन /
निर्माण किया है ।'
 
डॉ. भयाणी का देशी शब्दों पर किया गया अनुसंधान अत्यन्त महत्व-
पूर्ण है। इन्होंने देशीनाममाला के शब्द - अनुक्रम में रामानुजस्वामी द्वारा दिये
गए इंग्लिस अर्थों की समालोचना करते हुए १७५ शब्दों की नोंध प्रस्तुत
कर उनके द्वारा कृत अर्थों को भ्रामक और अनभिप्रेत बताया है। इन्होंने
इन शब्दों का अर्थ जो हेमचंद्र को अभिप्रेत था उसका निर्देश भी किया है ।
 
उनमें से कुछेक शब्द सही-गलत अर्थों के साथ इस प्रकार हैं -
 
8
 
मूल शब्द
 
सही अर्थ
 
अच्छिविअच्छी
 
परस्पर आकर्षण, आपसी खींचतान
 
अजराउर
 
आमलय
 
आरंदर
 
आलीवण
 
इंदड्ढलअ
 
इरमंदिर
 
उअहारी
 
२६
 
उष्ण
 
नूपुर गृह, नूपुर रखने की पेटी
१. अनेकान्त, जनसंकुल
२. संकट, संकीर्ण
 
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प्रदीपनक, प्रदीप्त अग्नि
 
इन्द्रोत्थान, इंद्रध्वज को हटाना
 
करभ
 
दोग्घी, दूध दुहने वाली स्त्री
 
१ स्टडीज इन हेमचन्द्राज देशोनाममाला, पृ ५७-८२ ।
 
रामानुजकृत गलत अर्थ
 
Mutual attraction
 
Heat
 
Dressing room
 
Not alone
 
Difficulty
 
Illuminating
 
Awakening Indra
 
A young elephent
A milch cow
 
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