देशीशब्दकोश /271
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२०२
देशी शब्दकोश
• टक्कारी-- १ वृक्ष-विशेष ( अंवि पृ ७० ) । २ अरणि का फूल ( दे ४ । २ वृ ) ।
टट्टइआ–पर्दा ( दे ४११ ) ।
टप्पर – १ विकराल कान वाला ( प्रटी प८१) । २ छाज के आकार के कान
( उपाटी पृ १६ ) ।
टप्परअ — विकराल कान वाला ( दे ४१२ ) ।
टमर – केशों का समूह ( कु पृ ७३ ; दे ४।१ ) ।
टसर- - १ सूती वस्त्र (निचू २ पृ ६८ ) । २ मोड़ना (दे ४११) ।
टसरोट्ट – अवतंस ( दे ४।१) ।
टार – १ दुष्ट अश्व ( दे ४२ ) ।२ टट्टू, छोटा घोड़ा ।
टाल
- फल की वह अवस्था जिसमें गुठली न पड़ी हो ( द ७।३२ ) -
'टालाणि नाम अबद्धट्ठिगाणि भन्नंति' (जिचू पृ २५६ ) ।
टिंबरु- - तेंदू का वृक्ष ( दे ४(३) ।
टिबरुय
– तेंदु का वृक्ष (दजिचू पृ १८४) ।
-
टिक्क – १ तिलक (दे ४ । ३ ) । २ सिर पर फूलों का गुच्छा ( वृ) ।
टिक्किद- - तिलक वा 'टीकी' से विभूषित- मंडियटिविकदविभूसिया एगा
साहुणी' (उसुटी प ५४) ।
टिग्घर–स्थविर, वृद्ध ( दे ४ ३ ) ।
टिट्टि- टि-टिट् की आवाज, बछड़े आदि को प्रतिषेध करने का शब्द
(बृभा ७७) ।
-
टिट्टिभीय - टिट्टिभ, टि-टि करने वाला प्राणी ( अंवि पृ १८३) ।
टिप्पी - तिलक ( दे ४ । ३ ) ।
टिविडिक्किय -- अलंकृत, विभूषित - संजई पासति मंडिय-टिविडिक्किया'
( उशाटीप १३८ ) ।
टुंट - छिन्न-हस्त, कटे हुए हाथ वाला ( प्रसा ७१५; दे ४।३) ।
टुंटय -- छिन्न-हस्त (दे ४ । ३ वृ) ।
टॅकण --- चतुरिन्द्रिय जंतु- विशेष (जीवटी प ३२) ।
टेंटा– १ जुआ खेलने का स्थान ( दे ४ । ३ ) । २ अक्षि-गोलक । ३ छाती का
शुष्क व्रण ।
टेंटिअ— द्यूतक्रीडा के स्थान पर रहने वाला ( दे ४ । ३ वृ ) ।
टेंबरूय - तेंदु का फल (आटी प ३४६ ) ।
टेक्कर - स्थल, प्रदेश (दे ४१३) ।
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देशी शब्दकोश
• टक्कारी-- १ वृक्ष-विशेष ( अंवि पृ ७० ) । २ अरणि का फूल ( दे ४ । २ वृ ) ।
टट्टइआ–पर्दा ( दे ४११ ) ।
टप्पर – १ विकराल कान वाला ( प्रटी प८१) । २ छाज के आकार के कान
( उपाटी पृ १६ ) ।
टप्परअ — विकराल कान वाला ( दे ४१२ ) ।
टमर – केशों का समूह ( कु पृ ७३ ; दे ४।१ ) ।
टसर- - १ सूती वस्त्र (निचू २ पृ ६८ ) । २ मोड़ना (दे ४११) ।
टसरोट्ट – अवतंस ( दे ४।१) ।
टार – १ दुष्ट अश्व ( दे ४२ ) ।२ टट्टू, छोटा घोड़ा ।
टाल
- फल की वह अवस्था जिसमें गुठली न पड़ी हो ( द ७।३२ ) -
'टालाणि नाम अबद्धट्ठिगाणि भन्नंति' (जिचू पृ २५६ ) ।
टिंबरु- - तेंदू का वृक्ष ( दे ४(३) ।
टिबरुय
– तेंदु का वृक्ष (दजिचू पृ १८४) ।
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टिक्क – १ तिलक (दे ४ । ३ ) । २ सिर पर फूलों का गुच्छा ( वृ) ।
टिक्किद- - तिलक वा 'टीकी' से विभूषित- मंडियटिविकदविभूसिया एगा
साहुणी' (उसुटी प ५४) ।
टिग्घर–स्थविर, वृद्ध ( दे ४ ३ ) ।
टिट्टि- टि-टिट् की आवाज, बछड़े आदि को प्रतिषेध करने का शब्द
(बृभा ७७) ।
-
टिट्टिभीय - टिट्टिभ, टि-टि करने वाला प्राणी ( अंवि पृ १८३) ।
टिप्पी - तिलक ( दे ४ । ३ ) ।
टिविडिक्किय -- अलंकृत, विभूषित - संजई पासति मंडिय-टिविडिक्किया'
( उशाटीप १३८ ) ।
टुंट - छिन्न-हस्त, कटे हुए हाथ वाला ( प्रसा ७१५; दे ४।३) ।
टुंटय -- छिन्न-हस्त (दे ४ । ३ वृ) ।
टॅकण --- चतुरिन्द्रिय जंतु- विशेष (जीवटी प ३२) ।
टेंटा– १ जुआ खेलने का स्थान ( दे ४ । ३ ) । २ अक्षि-गोलक । ३ छाती का
शुष्क व्रण ।
टेंटिअ— द्यूतक्रीडा के स्थान पर रहने वाला ( दे ४ । ३ वृ ) ।
टेंबरूय - तेंदु का फल (आटी प ३४६ ) ।
टेक्कर - स्थल, प्रदेश (दे ४१३) ।
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