2023-03-21 17:15:53 by श्री अयनः चट्टोपाध्यायः

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जोइर -- स्खलित ( दे ३।४९ ) ।
जोइल्लय -- कीट-विशेष, इन्द्रगोप ( आवचू २ पृ ८३ ) ।
जोइस -- नक्षत्र ( दे ३।४९ ) ।
जोई -- विद्युत् ( दे ३।४९ ) ।
जोक्ख -- मलिन ( दे ३।४८ ) ।
जोग्गा -- चाटु, खुशामद ( दे ३।४८ ) ।
जोड -- १ नक्षत्र ( दे ३।४९ ) । २ रोग विशेष । ३ जोड़ी, युगल ।
जोडिअ -- १ व्याध, शिकारी ( दे ३।४९ ) । २ जोड़ा हुआ, संयुक्त किया हुआ।
जोडिऊण -- जोड़कर, संयुक्त कर - 'जोडिऊण करजुयलं कहिओ सुविणगवइयरो' ( उसुटी प ६३ ) ।
जोण्णलिआ -- धान्य-विशेष, जुआरि ( दे ३।५० ) ।
जोय -- युग्म, जोड़ा ( भ ११।१५९ ) ।
जोयण -- देखना - 'उवओग चंदजोयण, साहुत्ति विगिंचणे णाणं' ( जीभा १४१७ ) ।
जो रं - वाक्य के आदि में प्रयुक्त 'जो' का अर्थ है - यह तथा 'रं' का अर्थ है - निश्चय - 'जो रं च जो किरत्थम्मि' ( दे ३।४८ ) ।
जोव -- १ बिन्दु । २ अल्प ( दे ३।५२ ) ।
जोवण -- १ यन्त्र । २ धान्य का मर्दन । ३ धान की बुवाई - 'जोवणं-धान्यप्रकरः । प्रकरो मर्दनं धान्यस्य, लाटविषये जोवणं धण्णपइरणं भण्णइ ' ( ओटी पृ १६६ ) ।
जोवारि -- धान्य-विशेष, जुआरि ( दे ३।५० ) - 'जोवारी शब्दोऽपि देश्य एव ( वृ ) ।
जोव्वण -- मध्य भाग ( से २।१ ) ।
जोव्वणणीर -- वृद्धत्व, बुढ़ापा ( दे ३।५१ ) - 'जोव्वणणीरं तरुणत्तणे विजिएन्दिआण पुरिसाण' ( वृ ) ।
जोव्वणवेअ -- बुढ़ापा, वृद्धत्व ( दे ३।५१ ) ।
जोव्वणोवय -- बुढ़ापा, वृद्धत्व ( दे ३।५१ ) ।
जोहार -- जयकार, नमस्कार - 'जयोत्कारकरणं पित्रादीनाम्' ( प्रसाटी प १०५ ) ।