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छेणक – १ भाग, फेन । २ कल्लोल ( अंवि पृ २५५ ) ।
 
छेत्तर – पुराना छाज आदि गृह उपकरण ( दे ३ । ३२ ) ।
 
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छेत्तसोवणय -- खेत में जागना ( दे ३ । ३२ ) ।
 
छेध – स्थासक - कुंकुम, चंदन आदि सुगंधित द्रव्यों से दिए गए हाथ के
पांचों अंगुलियों के छापे, हस्तबिंब । २ स्थासक - चंदन आदि सुगंधित
द्रव्य से शरीर का विलेपन करना । ३ चोर (दे ३३९) ।
 
छेप्प – पूंछ (विपा १ । २३ २४ ) ।
 
छेभअ – हथेली का थापा, हस्तबिम्ब ( दे ३।३२ ) ।
 
छेरित्ता – लीद करके - 'गद्दी छेरिता गया' ( उसुटी प ७३ ) ।
दे ३।३२ वृ) ।
 
छेल – बकरा ( उसुटी प ५४;
 
देशी शब्दकोश
 
1.00
 
छेलअ --बकरा ( दे ३ । ३२ ) ।
 
छेलण- हर्ष ध्वनि, आनन्द की आवाज - 'छेलणं णाम उक्कट्ठी हसितादि'
(आवचू १ पृ १५७)।
 
छेलापनक – बालक्रीडा, उत्कृष्ट हर्षध्वनि, सीत्कार करना आदि - 'छेलापनक-
मिति देशीवचनमुत्कृष्टबाल क्रीडापनं सेण्टिताद्यर्थवाचकमिति'
( आवहाटी १८६) ।
 
छेलावण–१ उत्कृष्ट हर्षध्वनि । २ बाल क्रीडापन । ३ सीत्कार करना-
'छेलावणमुक्किट्ठाइ बालकीलावणं च सेंटाइ' ( आवमटी प २०१ )
छेलावणय – हर्ष - ध्वनि, हसना आदि - छेलणं णाम उक्कट्ठीहसितादि'
(आवचू १ पृ १५७) ।
 
छेलित - - सेंटिका करता हुआ (अंवि पृ ४६) ।
 
छेलिका-बकरी (प्रटीप १५ ) ।
 
छेलिय– सेंटित, सीतकार करना, अव्यक्त ध्वनि-विशेष ( प्र ३१५ ) ।
छेलिया-बकरी (उसुटीप २४१ ) ।
 
छेल्लिय- - नाक से छींकने का शब्द (दजिचू पृ २३६) ।
छैली – थोड़े फूल वाली माला ( दे ३ । ३१ ) ।
 
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छेवग – महामारी (व्या ५ टीप १८ ) ।
 
छेवट्ट - संहनन का एक प्रकार, अस्थि-रचना - विशेष (जीव १।१७ ) ।
छेवट्ठ – संहनन का एक प्रकार, अस्थि-रचना - विशेष (स्था ६।३०) ।
 
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