2023-03-09 10:30:20 by श्री अयनः चट्टोपाध्यायः
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चुविकतक चुक्कितक -- खाद्य -विशेष चूरमा ( अंवि पृ २४६) ।
) ।
चुक्कुड –-- बकरा, छाग ( दे ३ । ।१६ ) ।
चुचय– -- अनार्य देश की एक जाति ( भ ३१।९५)
)
चुज्ज —-- आश्यर्य ( दे ३।१४) ।
) ।
चुडण -- जीर्णता ( पिनि २५ ) ।
-
चुडलग –-- खण्ड खण्ड किया हुआ ( सूनि ७१ ) ।
चुडलय –-- अलात ( निचू १ पृ १६३ ) ।
चडलि –-- उल्मुक, जलती हुई लकड़ी ( बृभा ३१०२) । २ जलता हुआ घास
का पूला –- 'चुडलि तणपिंडी अग्गे पज्जलिता' ( नंदीचू पृ १६ ) ।
पृ
चुडलिया –-- जलता हुआ घास का 'पूला' ( नंदी १२ ) ।
चुडली -- अलात, जलती हुई लकड़ी ( उशाटी प ३३० ) ।
चुडल्लि -- जलता हुआ घास का पूला ( भटी पृ ८६३ ) ।
चुडिलीय -- उल्का, अलात ( अंवि पृ ९२ ) ।
चुडुप्प- -- छाल उतारना ( दे ३।३ वृ) ।
) ।
चुडप्पा -- त्वक्, छाल ( दे ३३ ) ।
।३ ) ।
चुडुल -- उल्का, जलती हुई लकड़ी ( जीभा ४२) ।
) ।
चुडुलि -- गुरु - -वन्दन का एक दोष ( आवनि १२११) ।
) ।
चुडुलिय -- गुरु वन्दन का एक दोष, रजोहरण को अलात की तरह घुमाते हुए
वन्दन करना ( प्रसाटी प ३८ ) ।
चुडुली-- -- अलात, जलती हुई लकड़ी ( जीभा ४० ; दे ३।१५) ।
) ।
चुडुल्ली- -- उल्का ( प्रज्ञाटी प २६ ) ।
९ ) ।
चुणअ -- १ चंडाल । २ अल्प । ३ बालक ।
४ मुक्त ।
५ छंद, अभिप्राय ।
६ अरोचक, अरुचिकर । ७ व्यतिकर, प्रसंग ( दे ३।२२ ) ।
८ 'विअरअ' (?) । ६९ आघ्रात, सूंघा हुआ - चुणओ विअरओ इति
धनपालः । आघ्रातार्थं थेऽपीति केचित्' ( वृ ) ।
देशी शब्दकोश
चुणय –-- पुत्र ( व्यभा ७ टी प ८५ ) ।
चुणिअ –-- निधारित, विशेष रूप से धारण किया हुआ (दे ३३।१५) - 'सा अच्छइ
आसतंतुचुणिअप्पा' (वृ) 1। ]
चुण्णइअ -- चूर्ण से आहत, जिस पर चूर्ण फेंका गया हो वह ( दे ३ । ।१७)।
) ।
चुण्णय –-- भयभीत, संत्रस्त ( विपा १ । २ । ।२।१४) ।
) ।
चुण्णाआ –-- कला, विज्ञान ( दे ३।१६ ) ।
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