2023-03-08 15:39:09 by श्री अयनः चट्टोपाध्यायः

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चित्तठिअ -- परितोषित, सन्तुष्ट ( दे ३।१२ ) ।
चित्तदाउ -- मधुपटल, मधुमक्खियों का छाता ( दे ३।१२ ) ।
चित्तपक्ख -- चार इन्द्रिय वाला जंतु-विशेष ( प्रज्ञा १।५१ ) ।
चित्तपत्तय -- चार इन्द्रिय वाला जंतु-विशेष ( उ ३६।१४८ ) ।
चित्तपरिच्छेय -- लघु, छोटा ( औप ५७ ) ।
चित्तपरिच्छोक -- लघु, छोटा-चित्तपरिच्छोको - लघुः' ( भटी प ३१८ ) ।
चित्तपरिच्छोय -- लघु ( भटी प ३१८ ) ।
चित्तल -- १ गोलाकार टुकड़े ( दजिचू पृ १९८ ) । २ हरिण की आकृति वाला जंगली पशु-विशेष ( प्रटी प १० ) । ३ विभूषित ( दे ३।४ ) । ४ रमणीय ( वृ ) । ५ चित्रविचित्र, चितकबरा ( पा १६७ ) ।
चित्तविय -- प्रोत्साहित किया - 'चित्तविया आडत्तिया' ( कु पृ ६५ ) ।
चित्ताचिल्लडय -- जंगली पशु-विशेष ( आचूला १।५२ ) ।
चित्ताचेल्लरय -- जंगली पशु-विशेष ( आचूला १।५२ पा ) ।
चित्ति -- चिता - 'गहियाईं कट्ठाईं, रइया महाचित्ती, लाइओ जलणो' ( कु पृ १०८ ) ।
चिद्दविअ -- विनष्ट ( दे ३।१३ ) ।
चिप्पग -- कूटी हुई छाल ( बूटी पृ १०२१ ) ।
चिप्पिडय -- धान्य विशेष ( दश्रुचू प ३८ ) ।
चिप्पित -- १ नपुंसक-विशेष - 'चिप्पितो णाम जस्स जायमेत्तस्सेव अंगुट्ठपदेसिणीमज्झियाहिं चड्ढिज्जंति' ( निचू ३पृ २४९ ) । २ चिपका हुआ, आक्रांत - गृद्धा नरा कामेसु चिप्पिता' ( सुचू १ पृ ९३ ) ।
चिप्पिय -- नपुंसक विशेष, जन्म के समय अंगूठे से मर्दन कर जिसका अण्डकोष दबा दिया गया हो ( बृभा ५१६७ ) ।
चिप्पिस -- नपुंसक-विशेष - 'जातमेत्ताण चेद जेसिं मिलितेहिं चोतिआ ते चिप्पिसा' ( निचू २ पृ ४५२ ) ।
चिमिटा -- चपटी - 'पेल्लिया णासिका चिमिटा भविस्सति' ( निचू ३ पृ ४०६ ) ।
चिमिण -- रोमश, दाढ़ी आदि न बनाने के कारण जिसके केश लंबे हो गए हों वह - 'चिल्लिरि-डसिया तुह अरिणो चिमिणा' ( दे ३।११ ) ।
चियत्त -- १ सम्मत - 'चियत्तोवहि-साइज्जणया' ( स्था ३।३८२ ) । २ प्रीतिकर - 'चियत्तं पविसे कुलं' ( द ५।१।१७ ) ।
चियाय -- त्याग ( स्था १०।१६ ) ।
चिरंडिहिल्ल -- दही ( दे ३।१४ पा ) ।