देशीशब्दकोश /235
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कहना ( बृभा ६१०५ ) । ४ बढ़ा-चढ़ा कर कहना - 'महता
चडगरत्तणेण अत्थकधा हणति' ( सूचू १ पृ २३५ ) । ५ विस्तृत ( भटी पृ ८५२ ) ।
चडप्फडंत -- छटपटाना - 'चडप्फडंते य त्ति अभीक्ष्णमितस्ततो भ्राम्यतः' ( बृटी पृ १६६९ ) ।
चडफड -- हलचल ( आचू पृ ३५७ ) ।
चडवेला -- चपेटा ( प्रटी प ५७ ) ।
चडाविय -- प्रेषित - 'तिण्णिवि छिन्नकडए चडावियाणि' ( दहाटी प ९९ ) ।
चडिय -- चढा हुआ, आरूढ ( प्रा ४।४४५ ) ।
चडिआर -- आटोप, आडंबर ( दे ३।५ ) ।
चडुग -- पात्र-विशेष ( व्यभा ८ टी प २२ ) ।
चङुडुत्तर -- चढ़ना-उतरना ( बूटी पृ ११४५ ) ।
चडुलग -- खण्ड-खण्ड किया हुआ - 'विदुलगचडुलग छिन्ने' ( सूनि ६९ ) ।
चडुला -- रत्न-तिलक, तिलक के स्थान पर पहना जाने वाला मस्तक का आभूषण-विशेष ( दे ३।८ वृ ) ।
चडुलातिलय -- स्वर्ण - श्रृंखला में लटकता हुआ रत्न - तिलक, मस्तक का आभूषण-विशेष - 'चडुलातिलयं कंचणसंकलियालंबिरयणतिलयम्मि' ( दे ३।८ ) ।
चड्ड -- १ पिठर के आकार का पात्र ( बुभा १९५१ ) । २ उद्दंड । ३ बहुभक्षी ( ति ११९३ ) ।
चड्डग -- काष्ठपात्र-विशेष - 'कट्ठमयवारचड्डग' ( निभा ३०६० ) ।
चड्डय -- काष्ठपात्र - 'वारओ चड्डयं कव्वयं तं पि कट्ठमयं'
( निचू ३ पृ ३४३ ) ।
चणट्ठिया -- गुञ्जा ( अनुद्वाहाटी पृ ७६ ) ।
चणविका -- चना, धान्य-विशेष ( अंवि पृ २२० ) ।
चणा -- बुद्धि, निपुणता, चतुराई - 'दव्वं चणाए सव्वं आकड्ढितं' ( आवचू १ पृ ५२४ ) ।
चणोठिया -- गुंजा ( अनुद्वामटी प १४३ ) ।
चण्णाडीतय -- ऊर्ध्व ग्रीवा - 'दव्वुण्णतो जो चण्णाडीतएण विणिहालिंतो जाति' ( दअचू पृ १०२ ) ।
चत्त -- तकली, सूत कातने का उपकरण ( दे ३।१ ) ।
चडप्फडंत -- छटपटाना - 'चडप्फडंते य त्ति अभीक्ष्णमितस्ततो भ्राम्यतः' ( बृटी पृ १६६९ ) ।
चडफड -- हलचल ( आचू पृ ३५७ ) ।
चडवेला -- चपेटा ( प्रटी प ५७ ) ।
चडाविय -- प्रेषित - 'तिण्णिवि छिन्नकडए चडावियाणि' ( दहाटी प ९९ ) ।
चडिय -- चढा हुआ, आरूढ ( प्रा ४।४४५ ) ।
चडिआर -- आटोप, आडंबर ( दे ३।५ ) ।
चडुग -- पात्र-विशेष ( व्यभा ८ टी प २२ ) ।
च
चडुलग -- खण्ड-खण्ड किया हुआ - 'विदुलगचडुलग छिन्ने' ( सूनि ६९ ) ।
चडुला -- रत्न-तिलक, तिलक के स्थान पर पहना जाने वाला मस्तक का आभूषण-विशेष ( दे ३।८ वृ ) ।
चडुलातिलय -- स्वर्ण - श्रृंखला में लटकता हुआ रत्न - तिलक, मस्तक का आभूषण-विशेष - 'चडुलातिलयं कंचणसंकलियालंबिरयणतिलयम्मि' ( दे ३।८ ) ।
चड्ड -- १ पिठर के आकार का पात्र ( बुभा १९५१ ) । २ उद्दंड । ३ बहुभक्षी ( ति ११९३ ) ।
चड्डग -- काष्ठपात्र-विशेष - 'कट्ठमयवारचड्डग' ( निभा ३०६० ) ।
चड्डय -- काष्ठपात्र - 'वारओ चड्डयं कव्वयं तं पि कट्ठमयं'
( निचू ३ पृ ३४३ ) ।
चणट्ठिया -- गुञ्जा ( अनुद्वाहाटी पृ ७६ ) ।
चणविका -- चना, धान्य-विशेष ( अंवि पृ २२० ) ।
चणा -- बुद्धि, निपुणता, चतुराई - 'दव्वं चणाए सव्वं आकड्ढितं' ( आवचू १ पृ ५२४ ) ।
चणोठिया -- गुंजा ( अनुद्वामटी प १४३ ) ।
चण्णाडीतय -- ऊर्ध्व ग्रीवा - 'दव्वुण्णतो जो चण्णाडीतएण विणिहालिंतो जाति' ( दअचू पृ १०२ ) ।
चत्त -- तकली, सूत कातने का उपकरण ( दे ३।१ ) ।