देशीशब्दकोश /23
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२२
बेश
८. मारुक ( मरुदेश )
६. गुर्जर
१०. लाट
११. मालव
१२. कर्णाटक
१३. ताजिक (परशियन
या अरबिक)
१४. कोशल
जल तल ले १४
दिण्णल्ले गहियल्ले"
अटि पुटि रटिं
इनमें १६ भाषाओं का उल्लेख है ।
द्राविडी होनी चाहिए । " उपर्युक्त उदाहरणों में
का उदाहरण तेलगु का-सा प्रतीत होता है ।
१५. महाराष्ट्र
१६- आन्ध्र
भाषा - शब्द
अप्पां तुप्पां
णउ रे भल्ल उं
अम्हं काउं तुम्हं"
भाउय भइणी तुम्हे"
अंडि पांडि मरे
इसि किसि मिसि
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अर्थ
हम-तुम
अरे ! यह अच्छा नहीं है
हमने किया, तुमने
तुम भाई-बहिन हो
दिया और लिया
वह जाना आना
शेष दो भाषाएं - - ओड्री और
कर्णाटक की भाषा - कन्नड
८. बंके जडे य जड्डे बहु-भोई कढिण-पीण-सूणंगे ।
'अप्पां तुप्पां' भणिरे अह पेच्छइ मारुए तत्तो ॥
६. घय लोणिय-पुट्ठेगे धम्म-परे संधि-विग्गह-णिउणे ।
'णउ रे भल्लउ' भणिरे अह पेच्छइ गुज्जरे अवरे ॥
१०. हाओलित्त - विलित्ते कय-सीमंते सुसोहिय-सुगत्ते ।
'अम्हं काउं तुम्हं' भणिरे अह पेच्छए लाडे ॥
११. तणु साम-मडह- देहे कोवणए माणजीविणो रोद्दे ।
'भाउय भइणी तुम्हे' भणिरे अह मालवे ट्ठेि ॥
१२. उक्कड - दप्पे पिय-मोहणे य रोद्दे पयंग - वित्तीय ।
'अडि पांडि मरे' भणिरे पेच्छइ कण्णाडए अण्णे ।
१३. कुप्पास-पाउयंगे मासरुई पाण-मयण - तल्लिच्छे ।
'इसि किसि मिसि' भणमाणे अह पेच्छइ ताइए अवरे ॥
१४. सव्व-कला-पत्तट्ठे माणी पियकोवणे कढिण-देहे ।
'जल तल ले' भणमाणे कोस
पुलइए अवरे ॥
१५. दढ - मडह-सामलंगे सहिरे अहिमाण-कलह-सीले य ।
'दिण्णल्ले गहियल्ले' उल्लविरे तत्थ मरहट्ठे ॥
१६. पिय-महिला-संगामे सुंदर गत्ते य भोयणे रोद्दे ।
'अटि पुटि रटिं' भते अंधे कुमरो पलोएइ ॥
१७. इय अट्ठारस देसी-भासाउ पुलइऊण सिरिदत्तो ।
पुलएई खस - पारस- बब्बरादीए ॥
अण्णाइय
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बेश
८. मारुक ( मरुदेश )
६. गुर्जर
१०. लाट
११. मालव
१२. कर्णाटक
१३. ताजिक (परशियन
या अरबिक)
१४. कोशल
जल तल ले १४
दिण्णल्ले गहियल्ले"
अटि पुटि रटिं
इनमें १६ भाषाओं का उल्लेख है ।
द्राविडी होनी चाहिए । " उपर्युक्त उदाहरणों में
का उदाहरण तेलगु का-सा प्रतीत होता है ।
१५. महाराष्ट्र
१६- आन्ध्र
भाषा - शब्द
अप्पां तुप्पां
णउ रे भल्ल उं
अम्हं काउं तुम्हं"
भाउय भइणी तुम्हे"
अंडि पांडि मरे
इसि किसि मिसि
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अर्थ
हम-तुम
अरे ! यह अच्छा नहीं है
हमने किया, तुमने
तुम भाई-बहिन हो
दिया और लिया
वह जाना आना
शेष दो भाषाएं - - ओड्री और
कर्णाटक की भाषा - कन्नड
८. बंके जडे य जड्डे बहु-भोई कढिण-पीण-सूणंगे ।
'अप्पां तुप्पां' भणिरे अह पेच्छइ मारुए तत्तो ॥
६. घय लोणिय-पुट्ठेगे धम्म-परे संधि-विग्गह-णिउणे ।
'णउ रे भल्लउ' भणिरे अह पेच्छइ गुज्जरे अवरे ॥
१०. हाओलित्त - विलित्ते कय-सीमंते सुसोहिय-सुगत्ते ।
'अम्हं काउं तुम्हं' भणिरे अह पेच्छए लाडे ॥
११. तणु साम-मडह- देहे कोवणए माणजीविणो रोद्दे ।
'भाउय भइणी तुम्हे' भणिरे अह मालवे ट्ठेि ॥
१२. उक्कड - दप्पे पिय-मोहणे य रोद्दे पयंग - वित्तीय ।
'अडि पांडि मरे' भणिरे पेच्छइ कण्णाडए अण्णे ।
१३. कुप्पास-पाउयंगे मासरुई पाण-मयण - तल्लिच्छे ।
'इसि किसि मिसि' भणमाणे अह पेच्छइ ताइए अवरे ॥
१४. सव्व-कला-पत्तट्ठे माणी पियकोवणे कढिण-देहे ।
'जल तल ले' भणमाणे कोस
पुलइए अवरे ॥
१५. दढ - मडह-सामलंगे सहिरे अहिमाण-कलह-सीले य ।
'दिण्णल्ले गहियल्ले' उल्लविरे तत्थ मरहट्ठे ॥
१६. पिय-महिला-संगामे सुंदर गत्ते य भोयणे रोद्दे ।
'अटि पुटि रटिं' भते अंधे कुमरो पलोएइ ॥
१७. इय अट्ठारस देसी-भासाउ पुलइऊण सिरिदत्तो ।
पुलएई खस - पारस- बब्बरादीए ॥
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