2023-03-07 19:25:13 by श्री अयनः चट्टोपाध्यायः

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घिंसुरि -- गरमी ( सूचू १ पृ १४७ ) ।
घिट्ट -- कुब्ज ( दे २।१०८ ) ।
घिय -- निन्दित ( दे २।१०८ ) ।
घिरोलिया -- छिपकली ( आवहाटी १ पृ २१३ ) ।
घिसरा -- जाल-विशेष ( विपा १।८।१९ ) ।
घुंघुरुड -- उत्कर, ढेर ( दे २।१०९ )।
घुंट -- घूंट ( बृभा २३९० ) ।
घुंटिय -- घूंट ( तंदु ११७ ) ।
घुंटिआ -- घूंट - 'जाव अइसाउरस त्ति अंजलीहि घुंटिया तेण' ( उसुटी प ३७ ) ।
घुंटित -- घुटा हुआ ( जंबूटी प २० ) ।
घुक्कभरध -- अंतरिक्ष में समुद्भूत क्षुद्रजंतु विशेष ( अंवि पृ २२९ ) ।
घुक्किय -- चपल, कपि चेष्टा - 'दे मंदभग्ग ! घुक्किय, तूससि तं णाम मे त्तेणं' ( जीभा ८३८ ) ।
घुग्घुच्छण -- खेद ( दे २।११० वृ ) ।
घुग्घुच्छणय -- खेद ( दे २।११० ) ।
घुग्घुरक -- टखना, गुल्फ ( आवहाटी १ पृ १३७ ) ।
घुग्घुरि -- मेंढक ( दे २।१०९ ) ।
घुग्घस्सुसय -- आशंका युक्त वचन ( दे २।२०९ ) ।
घुघुयंत -- 'घु-घु' आवाज करना, उल्लू का बोलना ( ज्ञा १।८।७२ ) ।
घुट्टघुणिअ -- पर्वत की बड़ी शिला ( दे २।११० ) ।
घुणघुणिआ -- कर्णोपकणिका, अफवाह ( दे २ । ११०) ।
घुणाहुणी -- कर्णोपकणिका, एक कान से दूसरे कान, कानाकानी ( उसुटी प १९२ ) ।
घुत्तिय -- गवेषित ( दे २।१०९ ) ।
घुरुघुरि -- मेंढक ( दे २।१०९ ) ।
घुल्ला -- द्वीन्द्रिय जन्तु-विशेष ( प्रज्ञा १।४९ ) ।
घुल्लिका -- द्वीन्द्रिय कीट-विशेष ( जीवटी प ३१ ) ।
घुसिणिअ -- गवेषित ( दे २।१०९ ) ।
घुसिरसार -- अवस्नान, विवाह आदि के अवसर पर किया जानेवाला मसूर आदि का उबटन ( दे २।११० ) ।