2023-03-07 17:31:08 by श्री अयनः चट्टोपाध्यायः

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गुलुइय -- गुल्मित, लताओं से युक्त ( भ १।५० ) ।
गुलुगुंछिअ -- १ बाड से व्यवहित ( दे २।९३ ) । २ उन्नमित ( वृ ) ।
गुलुगुलिय -- हाथी की चिंघाड़ ( उसुटी प ६४ ) ।
गुलुच्छ -- १ घुमाया हुआ ( दे २।९२ ) । २ गुच्छा ( पा ३४७ ) ।
गुवित -- क्षुब्ध, उद्वेलित ( स्था ३।४६५ ) ।
गुविल -- १ गहन, सघन ( बृभा ६४८९ ) । २ जंगल - 'जर-मरण-चउग्गई-गुविलं' ( महा ४४ ) ३ चीनी से निष्पन्न वस्तु ।
गुहा -- १ समवाय, साधुओं का समूह । २ उपाश्रय - 'गुहास्तु समवायाः प्ररूपणगुहा वा गृह्यन्त इति' ( नंदीटी पृ ९ ) ।
गुहिर -- गम्भीर ( पा ३२३ ) ।
गेंठुअ -- स्तन के ऊपर के वस्त्र की गांठ ( दे २।९३ ) ।
गेंठुल्ल -- कञ्चुक, चोली ( दे २।९४ ) ।
गेंड -- स्तन के ऊपर की वस्त्र-ग्रन्थि ( दे २।९३ ) ।
गेंडुई -- क्रीडा ( दे २।९४ ) ।
गेज्ज -- मथित ( दे २।८८ ) ।
गेज्जल -- कंठ का आभूषण ( दे २।९४ ) ।
गेड्ड -- १ पंक, कर्दम । २ यव ( दे २।१०४ ) ।
गेण्हिअ -- मुक्ता-माला जो छाती पर लटकती है ( दे २।९४ ) ।
गेल्लि -- हौदा ( भटी प १८७ ) ।
गेहि -- आसक्ति, गृद्धि ( आ ६।३७ ) ।
गोअंट -- १ गाय के चरण ( दे २।९८ ) । २ जमीन पर उगने वाले सिंघाड़े - 'गोअंटी स्थलशृंगाट इत्यन्ये' ( वृ ) ।
गोअग्गा -- गली ( दे २।९६ ) ।
गोअला -- दूध बेचने वाली ( दे २।९८ ) ।
गोआ -- छोटा घड़ा, गगरी ( दे २।९६ ) ।
गोआलिआ -- वर्षा ऋतु में होने वाला कीट-विशेष ( दे २।९८ ) ।
गोंजी -- मंजरी ( दे २।९५ ) ।
गोंठी -- मंजरी ( दे २।९५ ) ।
गोंड -- कानन, वन ( दे २।९४ ) ।
गोंडी -- मंजरी, मांजर ( दे २।९५ ) ।
गोंदी -- मंजरी ( कु पृ ३२ ) ।