2023-03-07 11:23:26 by श्री अयनः चट्टोपाध्यायः

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गल -- कांटा - 'मच्छोव्व गलं गिलित्ता' ( दचू १।६ ) । गलगाल - कांटा, मछलीं फंसाने की बंसी (कन्नड़ ) ।
गलंतिया -- गर्गरी - 'पाणिगलंतिया य दिज्जइ' ( आवहाटी २ पृ १३५ ) ।
गलच्छल्ल -- गला पकड़ना ( प्रटी प ५६ ) ।
गलत्थण -- १ क्षेपण । २ प्रेरण ( से ५।५३ ) ।
गलत्थलिअ -- बाहर निकाला हुआ ( दे २।८७ ) ।
गलत्थल्ल -- गलहत्थ, हाथ से गला पकड़ना ( ज्ञा १।९।४२ ) ।
गलत्थल्लिअ -- प्रेरित - 'सरवेअगलत्थल्लिअ' ( से ५।४३ ) ।
गलत्थिअ -- १ प्रेरित ( से १२।११ ) । २ बाहर निकाला हुआ, क्षिप्त ( दे २।८७ ) ।
गलि -- अविनीत - 'गिलत्येव केवलं न तु वहति गच्छति वेति गलिः' ( उशाटी प ४९ ) ।
गलिअ -- स्मृत, याद किया हुआ ( दे २।८१ ) ।
गलोलइय -- गले का आभूषण ( निचू २ पृ ३९८ ) ।
गल्ल -- १ गाल, कपोल ( उपा २।२१ ) । २ हाथी का कुम्भस्थलं । ३ गढा । ४ मलिन ( दअचू पृ ५२ ) - 'गल्लोदगेण गत्तोंदकेन यद्वा मलिनोदकेन' ( टी ) ।
गल्लत्थलिय -- क्षिप्त, फेंका हुआ ( से ८।६१ ) ।
गल्लप्फोड -- डमरुक ( दे २।८६ ) ।
गल्लर -- चपटा - 'मुहं च से पेल्लियं गल्लरं भविस्सति' ( निचू ३ पृ ४०६ ) ।
गल्लिका -- यान-विशेष ( अंवि पृ २६ ) ।
गल्लिवग -- गले में पहनने योग्य - 'गल्लिवगा व से णक्खत्तमालादी पाए कया' ( निचू ३ पृ ४०७ ) ।
गल्लोल -- गडुक, पात्र-विशेष - 'गल्लोलपाणिएणं ण्हवेति' ( निचू १ पृ १० ) ।
गवच्छ -- आच्छादन ( जंबूटी प ५८ ) ।
गवच्छिय -- आच्छादन - 'ते णं वायकरगा किण्हसुत्तसिक्कग-गवच्छिया णीलसुत्तसिक्कग-गवच्छिया' ( जीव ३।३२६ ) ।
गवत्त -- घास, तृण ( पिनि २२४; दे २।८५ ) ।
गवर -- वनस्पति-विशेष ( प्रज्ञा १ टी ) ।
गहकंडुक -- क्षुद्र जंतु-विशेष ( अंवि पृ २३८ ) ।
गहकल्लोल -- राहु ( दे २।८६ ) ।