देशीशब्दकोश /213
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देशी शब्दकोश
गंडी – पुस्तक का एक प्रकार जिसके चारों कोण समान तथा लम्बाई-चौड़ाई
समान हो- 'बाहल्लपुहुत्तेहि गंडीपोत्थो उ तुल्लगो दीहो' ( प्रसा ६६५) ।
गंडीरी – ईख का टुकड़ा, गंडेरी (२८२)।
गंडीव - धनुष ( दे २१८४) ।
-
गंडूपक -पैर का आभूषण, नूपुर - गंडूपकं ति वा बूया........तधा णोपूरगं
वत्ति' ( अंवि पृ ६५) ।
गंडपयक-जंघा का आभूषण- गंडूपयकं णीपुराणि परिहेरकाणि'
( अंवि पृ १६३ ) ।
गंद - जाति - विशेष - चंडाल - पुलिंद - गंद-गोपालादि च' (सूचू १ पृ २३१ ) ।
गंदित - गंदा कर दिया (अंबिपृ १४८) ।
गंदीणी – आंख मिचौनी का खेल (दे २१८३ ) ।
-
गंधपिसाअ - गंधिक, पंसारी ( दे २१८७ ) ।
गंधलया - नासिका ( दे २१८५) ।
गंधिअ - - दुर्गन्ध ( दे २१८३ ) ।
गंधेल्ली- १ छाया । २ मधुमक्खी ( दे २ । १०० ) ।
गंधोल्ली – १ इच्छा । २ रात्री (दे २१६९) ।
गंभीर – चतुरिन्द्रिय जीव विशेष (प्रज्ञा १॥५१ ) ।
गग्गर – १ स्त्रियों के पहनने का वस्त्र, घाघरा (निचू ३ पृ ६० ) २ गद्गद्,
अस्पष्ट आवाज - सरोवि से खूभियगग्गरो ( निचू ४ पृ ३०५ ) ।
गग्गरग – घाघरा ( निभा ७८२) ।
गज्ज - यव ( दे २२८१ ) ।
गज्जणसद्द -- पशुओं को निवारण करने की ध्वनि ( दे २१८८ ) ।
गज्जफल – देश- विशेष में उत्पन्न वस्त्र विशेष (आटीप ३१३) ।
गज्जर- -गाजर, कंद - विशेष ( प्रसा २३७ ) ।
गज्जल -- पहनते समय बिजली के समान कड़कड़ शब्द करने वाला वस्त्र-
'गज्जलाणि कडकडेंताणि कायकंठल पावारादीणि'
(आचू पृ ३६४) ।
गज्जह - पश्चिमोत्तर दिशा का पवन (आवचू १ पृ ५१२ ) ।
गद्रि - गुठली (जीभा १७०१ ) ।
गढ़िया- गुठली ( अनु ३।४५ ) ।
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देशी शब्दकोश
गंडी – पुस्तक का एक प्रकार जिसके चारों कोण समान तथा लम्बाई-चौड़ाई
समान हो- 'बाहल्लपुहुत्तेहि गंडीपोत्थो उ तुल्लगो दीहो' ( प्रसा ६६५) ।
गंडीरी – ईख का टुकड़ा, गंडेरी (२८२)।
गंडीव - धनुष ( दे २१८४) ।
-
गंडूपक -पैर का आभूषण, नूपुर - गंडूपकं ति वा बूया........तधा णोपूरगं
वत्ति' ( अंवि पृ ६५) ।
गंडपयक-जंघा का आभूषण- गंडूपयकं णीपुराणि परिहेरकाणि'
( अंवि पृ १६३ ) ।
गंद - जाति - विशेष - चंडाल - पुलिंद - गंद-गोपालादि च' (सूचू १ पृ २३१ ) ।
गंदित - गंदा कर दिया (अंबिपृ १४८) ।
गंदीणी – आंख मिचौनी का खेल (दे २१८३ ) ।
-
गंधपिसाअ - गंधिक, पंसारी ( दे २१८७ ) ।
गंधलया - नासिका ( दे २१८५) ।
गंधिअ - - दुर्गन्ध ( दे २१८३ ) ।
गंधेल्ली- १ छाया । २ मधुमक्खी ( दे २ । १०० ) ।
गंधोल्ली – १ इच्छा । २ रात्री (दे २१६९) ।
गंभीर – चतुरिन्द्रिय जीव विशेष (प्रज्ञा १॥५१ ) ।
गग्गर – १ स्त्रियों के पहनने का वस्त्र, घाघरा (निचू ३ पृ ६० ) २ गद्गद्,
अस्पष्ट आवाज - सरोवि से खूभियगग्गरो ( निचू ४ पृ ३०५ ) ।
गग्गरग – घाघरा ( निभा ७८२) ।
गज्ज - यव ( दे २२८१ ) ।
गज्जणसद्द -- पशुओं को निवारण करने की ध्वनि ( दे २१८८ ) ।
गज्जफल – देश- विशेष में उत्पन्न वस्त्र विशेष (आटीप ३१३) ।
गज्जर- -गाजर, कंद - विशेष ( प्रसा २३७ ) ।
गज्जल -- पहनते समय बिजली के समान कड़कड़ शब्द करने वाला वस्त्र-
'गज्जलाणि कडकडेंताणि कायकंठल पावारादीणि'
(आचू पृ ३६४) ।
गज्जह - पश्चिमोत्तर दिशा का पवन (आवचू १ पृ ५१२ ) ।
गद्रि - गुठली (जीभा १७०१ ) ।
गढ़िया- गुठली ( अनु ३।४५ ) ।
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