2023-03-07 09:48:36 by श्री अयनः चट्टोपाध्यायः

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गंडी -- पुस्तक का एक प्रकार जिसके चारों कोण समान तथा लम्बाई-चौड़ाई समान हो - 'बाहल्लपुहुत्तेहिं गंडीपोत्थो उ तुल्लगो दीहो' ( प्रसा ६६५ ) ।
गंडीरी -- ईख का टुकड़ा, गंडेरी ( २।८२ ) ।
गंडीव -- धनुष ( दे २।८४ ) ।
गंडूपक -- पैर का आभूषण, नूपुर - गंडूपकं ति वा बूया........•••••तधा णोपूरगं व त्ति' ( अंवि पृ ६५ ) ।
गंडूपयक -- जंघा का आभूषण - 'गंडूपयकं णीपुराणि परिहेरकाणि' ( अंवि पृ १६३ ) ।
गंद -- जाति-विशेष - 'चंडाल-पुलिंद-गंद-गोपालादि च' ( सूचू १ पृ २३१ ) ।
गंदित -- गंदा कर दिया ( अंबि पृ १४८ ) ।
गंदीणी -- आंख मिचौनी का खेल ( दे २।८३ ) ।
गंधपिसाअ -- गंधिक, पंसारी ( दे २।८७ ) ।
गंधलया -- नासिका ( दे २।८५ ) ।
गंधिअ -- दुर्गन्ध ( दे २।८३ ) ।
गंधेल्ली -- १ छाया । २ मधुमक्खी ( दे २।१०० ) ।
गंधोल्ली -- १ इच्छा । २ रात्री ( दे २।९९ ) ।
गंभीर -- चतुरिन्द्रिय जीव विशेष ( प्रज्ञा १।५१ ) ।
गग्गर -- १ स्त्रियों के पहनने का वस्त्र, घाघरा (निचू ३ पृ ६० ) २ गद्गद्, अस्पष्ट आवाज - सरोवि से••••खूभियगग्गरो ( निचू ४ पृ ३०५ ) ।
गग्गरग -- घाघरा ( निभा ७८२ ) ।
गज्ज -- यव ( दे २।८१ ) ।
गज्जणसद्द -- पशुओं को निवारण करने की ध्वनि ( दे २।८८ ) ।
गज्जफल -- देश-विशेष में उत्पन्न वस्त्र विशेष ( आटी प ३९३ ) ।
गज्जर -- गाजर, कंद-विशेष ( प्रसा २३७ ) ।
गज्जल -- पहनते समय बिजली के समान कड़कड़ शब्द करने वाला वस्त्र - 'गज्जलाणि कडकडेंताणि कायकंठलपावारादीणि' ( आचू पृ ३६४ ) ।
गज्जह -- पश्चिमोत्तर दिशा का पवन ( आवचू १ पृ ५१२ ) ।
गट्ठि -- गुठली ( जीभा १७०१ ) ।
गट्ठिया -- गुठली ( अनु ३।४५ ) ।