2023-03-05 05:31:07 by श्री अयनः चट्टोपाध्यायः

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'खारो जत्थ तित्तकुंतलया डज्झंति, गावीसु रमंतीसु मसगाईं सरीराइ उवसमणत्थं डज्भंति' ( आचू पृ ३७० ) ।
खारंफिडी -- गोधा, छिपकली ( दे २।७३ ) ।
खारक -- चतुष्पद प्राणी-विशेष ( अंवि पृ ६९ ) ।
खारय -- अर्ध विकसित फूल या कली ( दे २।७३ ) ।
खारा -- भुजपरिसर्पिणी ( जीव २।९ ) ।
खारापक -- राख - 'छगणि छारिक्खारापको' ( अंवि पृ २५४ ) ।
खालक -- १ वृक्षवासी प्राणी-विशेष - 'तत्थ वुक्खचरा विराला उंदुरा खालका ( अंवि पृ २२६ ) । २ छोटा पशु-विशेष ( अंवि पृ २२७ ) ।
खालग -- चतुष्पद जंतु-विशेष ( अंवि पृ २३८ ) ।
खाह -- खांसी - 'खाहुत्थूभाउ कुणइ जत्तेणं' ( बृभा २६२५ ) ।
खाहिया -- खाई, परिखा ( अनुवाहाटी पृ ७८ ) ।
खिंखिणी -- १ लघु घंटिका ( आवचू १पृ १८९ ) । २ शृगाली ( दे २।७४ ) ।
खिंखिय -- सियार की खिं-खिं आवाज ( उशाटी प १२१ ) ।
खिंग -- उद्दण्ड ( जीविप पृ ५२ ) ।
खिखिंसणा -- तिरस्कार ( ओनि ७१५ ) ।
खिखिंसा -- निष्ठुर और निःस्नेह वचन, निंदा, अवहेलना - 'णिट्ठुरं णिण्हेहवयणं खिंसा' ( निचू ३ पृ ६ ) ।
खिक्खिंड -- गिरगिट ( दे २।७४ ) ।
खिक्खिरी -- डोम आदि लोगों की चिह्नरूप लाठी जिसे देखकर लोग उनको न छूने का परिज्ञान कर लेते हैं ( दे २।७३ ) ।
खिच्च -- खिचड़ी ( दे १।१३४ ) ।
खिज्जिय -- १ रोष ( ज्ञा १।९।४१ ) २ उपालम्भ ( दे २।७४ ) ।
खित्तय -- १ अनर्थ । २ दीप्त, प्रज्वलित ( दे २।७९ ) ।
खिल्ल -- फोड़ा-फुंसी ( तंदु ११६ ) ।
खिल्लर -- १ तलैया ( निचू २ पृ ३०३ ) । २ चारों ओर गोलाकार पाल ( आवहाटी १ पृ ३७ ) ।
खिल्लूर -- छोटी तलाई - 'खल्लर-खिल्लूर छिल्लरशब्दा देश्या एकार्थकाः' ( दअचूपृ८ ) ।
खिवल -- ( नौका को ) खेना, आगे ले जाना - 'खिवलं ढोक्कणं णयणं वा' ( आचू पृ ३५७ ) ।