देशीशब्दकोश /205
This page has not been fully proofread.
खव्व -१ बायां हाथ । २ गधा ( दे २१७७ ) ।
खव्वुल्ल – मुख ( दे २१६८ ) ।
खसर — रोग-विशेष, खुजली (जंबू २ । १३३) ।
-
खस्सिअ
– टखनों तक पहना जाने वाला जूता- 'उर्वरितला मे फुटुंति ।
खस्सिताओ से कताओ' (दअचू पृ ४१) ।
.१ वाक्यालंकार में प्रयुक्त अव्यय । २ पुनः अर्थ का सूचक अव्यय- 'से
कहि खाइ णं भंते ! सिद्धा परिवसंति ?' (औप १९२ ) । ३ परिखा
( आव १ पृ ३६ ) ।
खाइआ – १ परिखा (दे २ ७३) ।
खाई – वाक्यालंकार के रूप में प्रयुक्त अव्यय- से केणं खाईं अट्ठेणं भंते !
एवं वुच्चइ' (भ १७५२१) ।
खाइ-
खाइणं – वाक्यालंकार में प्रयुक्त अव्यस- 'खाइणं ति देशी-भाषया वाक्यालंकारे'
( औपटी पृ २१८ ) ।
देशी शब्दकोश
खाइया – खाई, खातिका ( भ ५। १६६ ) ।
खाखट्टिका - सेवई आदि खाद्य पदार्थ विशेष ( अंवि पृ १८२) ।
खाडइअ – प्रतिफलित (दे २,७३) ।
खाडइला – गिलहरी, वह प्राणी जिसके शरीर पर काली और श्वेत धाराएं
होती हैं (नंदी ३८१४) ।
खाडलिल्ल – गिलहरी ( प्रटी प १० ) ।
खाडहिला - गिलहरी ( प्र ११८ ) ।
खाडहिल्ला - गिलहरी ( उपाटी पृ १६ ) ।
खाडहेल्ला - गिलहरी ( आवहाटी १पृ २७८)।
खात - १ भूमिगृह (निचू १ पृ ११४) । २ कूप, बावड़ी आदि
( आवटि ५८ ) ।
खातिका – खाई, परिखा ( प्र १।१४) ।
-
खातोदग - खुदे हुए जलाशय का पानी ( भ १५।१८६ ) ।
खायं –– वाक्यालंकार में प्रयुक्त अव्यय- 'तो खायं अहमवि ओलग्गामि
( बृटी पृ ५३ ) ।
खायर — खदिर वृक्ष सम्बंधी -
खायरो य सूलो....पादो छिज्जए'
(निचू १ पृ १६) ।
खार - गायों के विचरण करने का वह स्थान जहां तिक्त कुंतल आदि जलाए
जाते हैं, जिससे कि गायों के कीट-जन्य उपद्रव शांत हो जाएं -
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
खव्वुल्ल – मुख ( दे २१६८ ) ।
खसर — रोग-विशेष, खुजली (जंबू २ । १३३) ।
-
खस्सिअ
– टखनों तक पहना जाने वाला जूता- 'उर्वरितला मे फुटुंति ।
खस्सिताओ से कताओ' (दअचू पृ ४१) ।
.१ वाक्यालंकार में प्रयुक्त अव्यय । २ पुनः अर्थ का सूचक अव्यय- 'से
कहि खाइ णं भंते ! सिद्धा परिवसंति ?' (औप १९२ ) । ३ परिखा
( आव १ पृ ३६ ) ।
खाइआ – १ परिखा (दे २ ७३) ।
खाई – वाक्यालंकार के रूप में प्रयुक्त अव्यय- से केणं खाईं अट्ठेणं भंते !
एवं वुच्चइ' (भ १७५२१) ।
खाइ-
खाइणं – वाक्यालंकार में प्रयुक्त अव्यस- 'खाइणं ति देशी-भाषया वाक्यालंकारे'
( औपटी पृ २१८ ) ।
देशी शब्दकोश
खाइया – खाई, खातिका ( भ ५। १६६ ) ।
खाखट्टिका - सेवई आदि खाद्य पदार्थ विशेष ( अंवि पृ १८२) ।
खाडइअ – प्रतिफलित (दे २,७३) ।
खाडइला – गिलहरी, वह प्राणी जिसके शरीर पर काली और श्वेत धाराएं
होती हैं (नंदी ३८१४) ।
खाडलिल्ल – गिलहरी ( प्रटी प १० ) ।
खाडहिला - गिलहरी ( प्र ११८ ) ।
खाडहिल्ला - गिलहरी ( उपाटी पृ १६ ) ।
खाडहेल्ला - गिलहरी ( आवहाटी १पृ २७८)।
खात - १ भूमिगृह (निचू १ पृ ११४) । २ कूप, बावड़ी आदि
( आवटि ५८ ) ।
खातिका – खाई, परिखा ( प्र १।१४) ।
-
खातोदग - खुदे हुए जलाशय का पानी ( भ १५।१८६ ) ।
खायं –– वाक्यालंकार में प्रयुक्त अव्यय- 'तो खायं अहमवि ओलग्गामि
( बृटी पृ ५३ ) ।
खायर — खदिर वृक्ष सम्बंधी -
खायरो य सूलो....पादो छिज्जए'
(निचू १ पृ १६) ।
खार - गायों के विचरण करने का वह स्थान जहां तिक्त कुंतल आदि जलाए
जाते हैं, जिससे कि गायों के कीट-जन्य उपद्रव शांत हो जाएं -
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org