2023-03-05 04:38:26 by श्री अयनः चट्टोपाध्यायः

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खव्व -- १ बायां हाथ । २ गधा ( दे २।७७ ) ।
खव्वुल्ल -- मुख ( दे २।६८ ) ।
खसर -- रोग-विशेष, खुजली ( जंबू २।१३३) ।
खस्सिअ -- टखनों तक पहना जाने वाला जूता- 'उवरितला मे फुट्टंति । खस्सिताओ से कताओ' ( दअचू पृ ४१ ) ।
खाइ -- १ वाक्यालंकार में प्रयुक्त अव्यय । २ पुनः अर्थ का सूचक अव्यय - 'से कहिं खाइ णं भंते ! सिद्धा परिवसंति ?' ( औप १९२ ) । ३ परिखा ( आव १ पृ ३९ ) ।
खाइआ -- १ परिखा ( दे २।७३ ) ।
खाईं -- वाक्यालंकार के रूप में प्रयुक्त अव्यय - 'से केणं खाईं अट्ठेणं भंते ! एवं वुच्चइ' ( भ १७।२१ ) ।
खाइणं -- वाक्यालंकार में प्रयुक्त अव्यस - 'खाइणं ति देशी-भाषया वाक्यालंकारे' ( औपटी पृ २१८ ) ।
खाइया -- खाई, खातिका ( भ ५।१९९ ) ।
खाखट्टिका -- सेवई आदि खाद्य पदार्थ विशेष ( अंवि पृ १८२ ) ।
खाडइअ -- प्रतिफलित ( दे २।७३ ) ।
खाडइला -- गिलहरी, वह प्राणी जिसके शरीर पर काली और श्वेत धाराएं होती हैं ( नंदी ३८।४ ) ।
खाडलिल्ल -- गिलहरी ( प्रटी प १० ) ।
खाडहिला -- गिलहरी ( प्र १।८ ) ।
खाडहिल्ला -- गिलहरी ( उपाटी पृ ९६ ) ।
खाडहेल्ला -- गिलहरी ( आवहाटी १ पृ २७८ ) ।
खात -- १ भूमिगृह ( निचू १ पृ ११४ ) । २ कूप, बावड़ी आदि ( आवटि प ५८ ) ।
खातिका -- खाई, परिखा ( प्र १।१४ ) ।
खातोदग -- खुदे हुए जलाशय का पानी ( भ १५।१८६ ) ।
खायं -- वाक्यालंकार में प्रयुक्त अव्यय - 'तो खायं अहमवि ओलग्गामि ( बृटी पृ ५३ ) ।
खायर -- खदिर वृक्ष सम्बंधी - 'खायरो य सूलो....पादो छिज्जए' ( निचू १ पृ १६ ) ।
खार -- गायों के विचरण करने का वह स्थान जहां तिक्त कुंतल आदि जलाए जाते हैं, जिससे कि गायों के कीट-जन्य उपद्रव शांत हो जाएं -