देशीशब्दकोश /203
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खरिंसुय -- कंद-विशेष ( प्रसा २३८ ) ।
खरिगा -- दासी ( निभा ३६६५ ) ।
खरिमुही -- नपुंसक दासी ( व्यमा ६ टी प १७ ) ।
खरियत्ता -- वेश्या के रूप में - '••••रायगिहे नगरे बाहिं खरियत्ताए उववज्जिहिति' ( भ १५।९८६ ) ।
खरियमुही -- नपुंसक दासी ( व्यमा ६ टी प १८ ) ।
खरिया -- १ दासी ( बृभा २५१७ ) । २ वेश्या ।
खरी -- दासी ( बृभा ३३७७) ।
खरुल्ल -- १ कठिन । २ स्थपुट, विषमोन्नत ( दे २।७८ ) ।
खलइअ -- खाली, रिक्त ( दे २।७१ ) ।
खलक -- शरीर का अवयव विशेष - घूरीयाओ त्ति जंघाः खलका वा' ( सूटी प ३२३ ) । २ खलिहान, धान्य साफ करने का स्थान ( ज्ञाटी प १२६ ) । ३ पानक ( अंवि पृ ६४ ) ।
खलखल -- चूड़ियों की आवाज ( उशाटी प ३०३ ) ।
खलखलाविय -- क्षुब्ध होना, लड़खड़ाते चलना ( आवचू २ पृ ९४ ) ।
खलखिल -- निर्जीव - 'खलखिलं निर्जीव मित्यर्थ:' ( व्यभा ६ टी प ६६ ) ।
ख़लग -- मांस सुखाने का स्थान - खलगं जत्थ मंसं सोसंति' ( निभा ३४८१ ) ।
खलगंडिअ -- मत्त ( दे २।६७ वृ ) ।
खलय -- पुंज, राशि, ढेर- 'मच्छखलए करेंति - मत्स्यपुञ्जान् कुर्वन्ति' ( विपाटी प ८१ ) २ खलिहान- निद्धन्नयं च खलयं, पुप्फेहि विवज्जियं च आरामं' ( तंदु १६६ ) । ३ स्थान - 'जूयखलयाणि य पाणागाराणि य' ( ज्ञा १।२।११ ) ।
खलयारिय -- तिरस्कृत - 'डिंभेहि मुणिउ त्ति काऊण खलयारिओ' ( आवहाटी १ पृ १४३ ) ।
खलहल -- चूड़ियों का आपस के आघात से होने वाला 'खल-खल' शब्द ( उसुटी प १४१ ) ।
खलाविय -- नुकसान किया, हानि पहुंचाई ( आवचू १ पृ ४९३ ) ।
खली- -- तिल -- -पिण्डिका, खली, तेल रहित तिलों की सीठी ( दे २।६६ ) ।
खलुंक -- १ अविनीत बैल । (स्थाटी प २४८) ! २ अविनीत शिष्य ( उ २७।१५ ) ।
खलुंकिज्ज -- १ अविनीत बैल संबंधी । २ उत्तराध्ययन सूत्र का सताइसके अध्ययन का नाम ( उ २७ ) ।
खरिगा -- दासी ( निभा ३६६५ ) ।
खरिमुही -- नपुंसक दासी ( व्यमा ६ टी प १७ ) ।
खरियत्ता -- वेश्या के रूप में - '••••रायगिहे नगरे बाहिं खरियत्ताए उववज्जिहिति' ( भ १५।९८६ ) ।
खरियमुही -- नपुंसक दासी ( व्यमा ६ टी प १८ ) ।
खरिया -- १ दासी ( बृभा २५१७ ) । २ वेश्या ।
खरी -- दासी ( बृभा ३३७७) ।
खरुल्ल -- १ कठिन । २ स्थपुट, विषमोन्नत ( दे २।७८ ) ।
खलइअ -- खाली, रिक्त ( दे २।७१ ) ।
खलक -- शरीर का अवयव विशेष - घूरीयाओ त्ति जंघाः खलका वा' ( सूटी प ३२३ ) । २ खलिहान, धान्य साफ करने का स्थान ( ज्ञाटी प १२६ ) । ३ पानक ( अंवि पृ ६४ ) ।
खलखल -- चूड़ियों की आवाज ( उशाटी प ३०३ ) ।
खलखलाविय -- क्षुब्ध होना, लड़खड़ाते चलना ( आवचू २ पृ ९४ ) ।
खलखिल -- निर्जीव - 'खलखिलं निर्जीव मित्यर्थ:' ( व्यभा ६ टी प ६६ ) ।
ख़लग -- मांस सुखाने का स्थान - खलगं जत्थ मंसं सोसंति' ( निभा ३४८१ ) ।
खलगंडिअ -- मत्त ( दे २।६७ वृ ) ।
खलय -- पुंज, राशि, ढेर- 'मच्छखलए करेंति - मत्स्यपुञ्जान् कुर्वन्ति' ( विपाटी प ८१ ) २ खलिहान- निद्धन्नयं च खलयं, पुप्फेहि विवज्जियं च आरामं' ( तंदु १६६ ) । ३ स्थान - 'जूयखलयाणि य पाणागाराणि य' ( ज्ञा १।२।११ ) ।
खलयारिय -- तिरस्कृत - 'डिंभेहि मुणिउ त्ति काऊण खलयारिओ' ( आवहाटी १ पृ १४३ ) ।
खलहल -- चूड़ियों का आपस के आघात से होने वाला 'खल-खल' शब्द ( उसुटी प १४१ ) ।
खलाविय -- नुकसान किया, हानि पहुंचाई ( आवचू १ पृ ४९३ ) ।
खली
खलुंक -- १ अविनीत बैल । (स्थाटी प २४८) ! २ अविनीत शिष्य ( उ २७।१५ ) ।
खलुंकिज्ज -- १ अविनीत बैल संबंधी । २ उत्तराध्ययन सूत्र का सताइसके अध्ययन का नाम ( उ २७ ) ।