2023-03-03 07:26:28 by श्री अयनः चट्टोपाध्यायः

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कोसय -- लघु शराव ( दे २।४७ ) ।
कोसल - - नीवी ( दे २।३८ ) ।

कोसलिअ -- भेंट, उपहार ( दे २१२ ) ।
कोसलिआ -- भेंट ( दे २१२ वृ) ।
 
 
) ।
कोसल्ल -- उपहार, भेंट - ' तं पुरजणकोसल्लं, नरवइणा अप्पियं कुमारस्स'
( उसुटी प ८६ ) ।

कोसल्लिअ—— -- भेंट, उपहार ( दे २१२ वृ) ।
) ।
कोसेज्जा -- टसर, सूती वस्त्र -
 
-
'कोसेज्जा वडओ भण्णति'
 
(
( निचू २ पृ ६८; दे २३३ ) ।

कोहलिआ -- कुष्मांडी, कोहंडा का गाछ ( पा ३७२ ) ।
कोहल्ली -- तापिका, तवा ( दे २।४६ ) ।
कोहिल्ल -- क्रोधी ( ओटी पृ २१६ ) ।
 

 
देशी शब्दकोश
 
खइय -- स्वभाव ( स्थाटी प २६२ ) ।
 
खइव -- स्वभाव - 'खइव त्ति संवेगशुन्यधर्मकथनलक्षणो हेवाकः स्वभावो यस्यां
सा तथा' ( स्थाटी प २६२ ) ।

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खउर- -
खउर -- १ तापसों का पात्र - -विशेष ( बृभा ३४५ ) । २ खैर आदि का गोंद
(
( निचू ४ पृ ६७ ) । ३ नीच- असूयपुत्ता
! खउरपुत्ता ! सुट्ठु
अक्कोसामि' ( आवहाटी १ पृ १४१ ) । ४ कलुषित - 'दरदट्ठविवण्ण-
विद्दुमरअक्खउरा' ( से ५।४७ ) । ५ व्याप्त ( से ६ । ११ ) ।@@
।११ ) ।
खउरकढिणय -- तापसों का उपकरण- विशेष, जो बांस, शुम्ब आदि द्रव्यों को
 
अत्यंत कूट-पीसकर कमठ के आकार का बनाया जाता है ।
उसको बिल्व और भिलावे के रस से लिप्त कर देने पर
उसमें से पानी भी परिस्रवित नहीं होता ( नंदीटि पृ १०५ ) ।

खउरल्लिय -- कलुषित, लिप्त ( जीभा ७०५)।
) ।
खउरित -- निर्भर्त्सित, तिरस्कृत- - 'खउरिता खरंटिता रोषेणेत्यर्थः'
( निचू २ पृ २६२ ) ।

खउरिय -- १ कलुषित ( बृभा ३७३० ) । २ मुण्डित । ३ धवलित
(
( से १०।४३ ) ।
 
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