देशीशब्दकोश /191
This page has not been fully proofread.
१२२
कोंटल - १ शकुन आदि की सूचना (ओभा २२१) । २ जादू-टोना
-
(दश्रुचू प ७६) ।
कोंटलय – १ ज्योतिष संबंधी सूचना । २ शकुन आदि निमित्त संबंधी सूचना-
'पउंजणे कोंटलयस्स य' (ओभा २२१ ) ।
-
कोंटलवेंटल - जादू-टोना- 'कोटलवेंटलेण कार्मणवशीकरणादिना'
( आवहाटी १ पृ १२६) ।
-
कोंटि – शस्त्र - विशेष - कोंटिं आभामिऊणं पहाविओ' (कुपृ ४७ ) ।
- गोत्र- विशेष ( अंवि पृ १४६ ) ।
कोंड
-
कोंडइल - पक्षि-विशेष ( निचू ३ पृ २६०)।
कोंडलिआ —— १ कुत्ते को बींधने वाला जंतु- विशेष, साही ( दे २१५० ) ।
२ कीट (वृ ) ।
कोंडल्लु – उल्लू ( दे २१४१) ।
कोंडिअ— ग्रामनिवासी लोगों के संगठन को छिन्न-भिन्न कर छल-कपट से
गांव की उपज का उपभोग करने वाला ग्राम-भोक्ता ( दे २१४५ )
देशी शब्दकोश
कोंढुल्लु – उल्लू (दे २१४६ ) ।
कोंतिय – १ तृण- विशेष ( भ २१११६ ) । २ शहद का एक प्रकार
( निचू २ पृ २३८ ) ।
कोक – वृक- विशेष ( प्रटीप १ ) ।
कोकंतिका – लोमड़ी (प्रटीप ६ ) ।
कोकंतिय – लोमड़ी- 'शृगालाकृतिर्लोमटक: ( आटीप ३३८)।
कोकंतिया - लोमड़ी (प्रज्ञा १९६६ ) ।
-
कोकासित — विकसित ( जीव ३।५९६)।
कोकासिय — विकसित ( प्र ४१७ ) ।
कोकि -- मादा पक्षि - विशेष ( अंवि पृ ६६) ।
कोक्कास – इस नाम का एक व्यक्ति जिसने यंत्रमय कापोत बनाकर शालि
उत्पन्न की थी ( व्यभा ५ टीप २० ) ।
कोक्कासिअ— विकसित ( दे २१५० ) ।
कोच्चप्प- झूठा हित ( दे २०४६ ) ।
कोच्चित- शैक्ष, नया शिष्य - 'कोच्चितो नाम शैक्षकः' (व्यभा ६ टीप १४) ।
कोच्छ -- गोत्र - विशेष (अंवि पृ १४९ ) ।
कोच्छर – दक्ष ( दे २ । १३ पा) ।
-
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
कोंटल - १ शकुन आदि की सूचना (ओभा २२१) । २ जादू-टोना
-
(दश्रुचू प ७६) ।
कोंटलय – १ ज्योतिष संबंधी सूचना । २ शकुन आदि निमित्त संबंधी सूचना-
'पउंजणे कोंटलयस्स य' (ओभा २२१ ) ।
-
कोंटलवेंटल - जादू-टोना- 'कोटलवेंटलेण कार्मणवशीकरणादिना'
( आवहाटी १ पृ १२६) ।
-
कोंटि – शस्त्र - विशेष - कोंटिं आभामिऊणं पहाविओ' (कुपृ ४७ ) ।
- गोत्र- विशेष ( अंवि पृ १४६ ) ।
कोंड
-
कोंडइल - पक्षि-विशेष ( निचू ३ पृ २६०)।
कोंडलिआ —— १ कुत्ते को बींधने वाला जंतु- विशेष, साही ( दे २१५० ) ।
२ कीट (वृ ) ।
कोंडल्लु – उल्लू ( दे २१४१) ।
कोंडिअ— ग्रामनिवासी लोगों के संगठन को छिन्न-भिन्न कर छल-कपट से
गांव की उपज का उपभोग करने वाला ग्राम-भोक्ता ( दे २१४५ )
देशी शब्दकोश
कोंढुल्लु – उल्लू (दे २१४६ ) ।
कोंतिय – १ तृण- विशेष ( भ २१११६ ) । २ शहद का एक प्रकार
( निचू २ पृ २३८ ) ।
कोक – वृक- विशेष ( प्रटीप १ ) ।
कोकंतिका – लोमड़ी (प्रटीप ६ ) ।
कोकंतिय – लोमड़ी- 'शृगालाकृतिर्लोमटक: ( आटीप ३३८)।
कोकंतिया - लोमड़ी (प्रज्ञा १९६६ ) ।
-
कोकासित — विकसित ( जीव ३।५९६)।
कोकासिय — विकसित ( प्र ४१७ ) ।
कोकि -- मादा पक्षि - विशेष ( अंवि पृ ६६) ।
कोक्कास – इस नाम का एक व्यक्ति जिसने यंत्रमय कापोत बनाकर शालि
उत्पन्न की थी ( व्यभा ५ टीप २० ) ।
कोक्कासिअ— विकसित ( दे २१५० ) ।
कोच्चप्प- झूठा हित ( दे २०४६ ) ।
कोच्चित- शैक्ष, नया शिष्य - 'कोच्चितो नाम शैक्षकः' (व्यभा ६ टीप १४) ।
कोच्छ -- गोत्र - विशेष (अंवि पृ १४९ ) ।
कोच्छर – दक्ष ( दे २ । १३ पा) ।
-
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org