2023-03-02 14:41:29 by श्री अयनः चट्टोपाध्यायः

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देशी शब्दकोश
 
कुविक -- होन अवयव वाला ( अंवि पृ १५३ ) ।

कुव्वरग -- खप्पर ( आवचू २ पृ २४७) ।
 
-
 
-
 
) ।
कुसण -- १ गोरस । २ पानक, मूंग की दाल आदि का पानी - 'कुसणं गोरसं
पाणगं वा' (आचू पृ २५०) । ३ तीमन, कढी आदि व्यञ्जन
(
( पिनि २०२; दे २(३५ ) । ४ गोरस से बना हुआ करंबा आदि
खाद्य ( पिनि २८२) ।
 
) ।
कुसत्त -- आस्तरण- विशेष ( ज्ञा ११११।१।१८ ) ।

कुसी - - कृमि की एक जाति ( अंवि पृ ७० ) ।

कुसुंभिल- -- पिशुन, चुगलखोर ( दे २४० ) ।

कुसुकुंडी -- मधुर सुरा विशेष (अंवि पृ २२१ ) ।

कुसुण -- दही आदि ( पिनि ६०७) ।
) ।
कुसुणित -- गोरस से बना हुआ करंबा आदि खाद्य -
'कुसुणितमपि करंबादिरूपतया कृतमपि' ( पिटी प ६१ ) ।
 
९१ ) ।
कुसुमण्ण -- कुंकुम ( दे २।४१ ) ।

कुसुमाल -- चोर ( दे २.१०) ।
) ।
कुसुमालिअ -- अन्यमनस्क ( दे २४२ ) ।
 

कुहंडिय -- ताला लगाना, ढकना - सा घरे छोढूण बाहिरि कुहंडिया'
( आवहाटी १ पृ १५० )
 
- 'कुसुणितमपि करंबादि-

कुहड -- कुब्ज, कूबड़ा ( पंव = ३२; दे २३६ ) ।
 

कुहणय -- कुहन वनस्पति का एक प्रकार ( प्रज्ञा १४७) ।

कुहव्वय -- कन्द - -विशेष ( उ ३६।९७ ) ।
 

कुहाड -- कुल्हाड़ी, फरसा ( निचू २ पृ ५ )
 
१.१६
 

कुहावणा -- बहुरूपिये की वृत्ति से अर्थार्जन करना - वट्टादि इंदजालं, खेड्डा उ
कुहावणा एसा' ( जीभा १७२१) ।
 
) ।
कुहिअ -- लिप्त, पोता हुआ ( दे २३५ ) ।
 

कुहिणी -- १ कोहनी, कूर्पर । २ रथ्या, गली ( दे २६२) ।
) ।
कुहिय -- वायु- विशेष, दौड़ते हुए अश्व के उदर प्रदेश के पास उत्पन्न होने
वाला एक प्रकार का वायु - -घणगज्जिय-हयकुहियं विज्जूदुग्गेज्झ
गूढहियआओ' ( ग )।
 
) ।
कुहुण -- वनस्पति -विशेष ( भ २३।४) ।
 
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) ।
कुहेड --- १ चमत्कार, मंत्र तंत्र के द्वारा झूठा चमत्कार ( उसुटी प २७१) ॥
) । २ गुरेटक, एक प्रकार का हर्रे का गाछ ( दे २३५ ) ।
 
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