देशीशब्दकोश /185
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रुधिर, वसा आदि — 'तं च से कुणिमं गलति उवरि'
(आवहाटी २ पृ ४८) ।
कुणिय – हास्यास्पद शब्द - 'कुणियं वा भणंतो हसिज्जसि' ( निचू ३ पृ ३६) ।
कुत किट्ट – रोम - विशेष
- कुतकिट्टा वि रोमविसेसा चेव देसंतरे, इह अप्पसिद्धा
(निचू ३ पृ ५७ ) ।
कुतत्ती – मनोरथ, वांछा (दे २१३६) ।
कुतलग — छोटे-छोटे टुकड़े (दअचू पृ ११५ ) ।
कुतव - चूहे के रोमों से बना वस्त्र - कुतवं उंदररोमेसु '
(अनुद्वाहाटी पृ २२ ) ।
कुतिपि - बिल में रहने वाला क्षुद्र कीट (अंवि पृ २२६ ) ।
-
कुत्त – ठेका, इजारा (विपा ११११४६ पा) देखें - कुंत ।
कुत्तिका – मधुनिष्पन्न करने वाली मक्षिका विशेष (प्रसाटी प ५३ ) ।
कुत्तिय - चतुरिन्द्रिय जन्तु विशेष (आव २ पृ ३१९ ) ।
कुत्तुंबक – वाद्य- विशेष ( जीव ३।७८ ) ।
कुत्थर – १ विज्ञान, प्रज्ञा, कलाकौशल ( दे २ । १३) । २ वृक्ष कोटर । ३ सर्व
आदि का बिल ।
देशी शब्दकोश
कुत्थुंबरी — बहुबीजक वनस्पति विशेष ( भ८१२२० ) ।
कुत्थुहवत्थ – १ नीवी, अधोवस्त्र को बांधने का नाड़ा ( दे २।३८ ) ।
कुत्थंभरिय - वनस्पति विशेष, धनिया ( भ २२ ३ ) ।
कुटुक्का – नालिका से खेला जाने वाला द्यूत - 'नालिकाक्रीडा कुदुक्का - क्रीड
त्ति' (सूचू १ पृ १७६) ।
कुदुव्वर – वाद्य- विशेष (आवचू १ पृ ३०१ ) ।
कुछ – प्रभुत, प्रचुर ( दे २ । ३४ ) ।
कुद्दण – रासक, एक प्रकार का नृत्य ( दे २१३८ ) ।
कुधवा – वल्ली विशेष (प्रज्ञा ११४० ) ।
कुधुलूक–पक्षी- विशेष, उलूक की एक जाति (अंवि पृ ६२ ) ।
कुप्पढ - १ गृहाचार, घर का रिवाज ( दे २१३६ ) । २ समुदाचार - कुप्पढो
गृहाचारः समुदाचार इत्यन्ये' ( वृ ) ।
कुप्पर – १ तीक्ष्ण, तीखा
(पिनि ४१८ ) । २ कीलाघात, रति-क्रीडा के
समय छाती पर एक विशेष प्रकार का आघात करना । ३ समुदाचार,
आचार-व्यवहार का सम्यक् पालन । ४ क्रीडा, उपहास ( दे २१६४ ) ।
कुप्पल – जलयंत्र का एक भाग ( अंवि पृ २५५) ।
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(आवहाटी २ पृ ४८) ।
कुणिय – हास्यास्पद शब्द - 'कुणियं वा भणंतो हसिज्जसि' ( निचू ३ पृ ३६) ।
कुत किट्ट – रोम - विशेष
- कुतकिट्टा वि रोमविसेसा चेव देसंतरे, इह अप्पसिद्धा
(निचू ३ पृ ५७ ) ।
कुतत्ती – मनोरथ, वांछा (दे २१३६) ।
कुतलग — छोटे-छोटे टुकड़े (दअचू पृ ११५ ) ।
कुतव - चूहे के रोमों से बना वस्त्र - कुतवं उंदररोमेसु '
(अनुद्वाहाटी पृ २२ ) ।
कुतिपि - बिल में रहने वाला क्षुद्र कीट (अंवि पृ २२६ ) ।
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कुत्त – ठेका, इजारा (विपा ११११४६ पा) देखें - कुंत ।
कुत्तिका – मधुनिष्पन्न करने वाली मक्षिका विशेष (प्रसाटी प ५३ ) ।
कुत्तिय - चतुरिन्द्रिय जन्तु विशेष (आव २ पृ ३१९ ) ।
कुत्तुंबक – वाद्य- विशेष ( जीव ३।७८ ) ।
कुत्थर – १ विज्ञान, प्रज्ञा, कलाकौशल ( दे २ । १३) । २ वृक्ष कोटर । ३ सर्व
आदि का बिल ।
देशी शब्दकोश
कुत्थुंबरी — बहुबीजक वनस्पति विशेष ( भ८१२२० ) ।
कुत्थुहवत्थ – १ नीवी, अधोवस्त्र को बांधने का नाड़ा ( दे २।३८ ) ।
कुत्थंभरिय - वनस्पति विशेष, धनिया ( भ २२ ३ ) ।
कुटुक्का – नालिका से खेला जाने वाला द्यूत - 'नालिकाक्रीडा कुदुक्का - क्रीड
त्ति' (सूचू १ पृ १७६) ।
कुदुव्वर – वाद्य- विशेष (आवचू १ पृ ३०१ ) ।
कुछ – प्रभुत, प्रचुर ( दे २ । ३४ ) ।
कुद्दण – रासक, एक प्रकार का नृत्य ( दे २१३८ ) ।
कुधवा – वल्ली विशेष (प्रज्ञा ११४० ) ।
कुधुलूक–पक्षी- विशेष, उलूक की एक जाति (अंवि पृ ६२ ) ।
कुप्पढ - १ गृहाचार, घर का रिवाज ( दे २१३६ ) । २ समुदाचार - कुप्पढो
गृहाचारः समुदाचार इत्यन्ये' ( वृ ) ।
कुप्पर – १ तीक्ष्ण, तीखा
(पिनि ४१८ ) । २ कीलाघात, रति-क्रीडा के
समय छाती पर एक विशेष प्रकार का आघात करना । ३ समुदाचार,
आचार-व्यवहार का सम्यक् पालन । ४ क्रीडा, उपहास ( दे २१६४ ) ।
कुप्पल – जलयंत्र का एक भाग ( अंवि पृ २५५) ।
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