2023-03-02 14:14:07 by श्री अयनः चट्टोपाध्यायः

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रुधिर, वसा आदि -- 'तं च से कुणिमं गलति उवरिं' ( आवहाटी २ पृ ४८ ) ।
कुणिय -- हास्यास्पद शब्द - 'कुणियं वा भणंतो हसिज्जसि' ( निचू ३ पृ ३९ ) ।
कुतकिट्ट -- रोम-विशेष - 'कुतकिट्टा वि रोमविसेसा चेव देसंतरे, इह अप्पसिद्धा ( निचू ३ पृ ५७ ) ।
कुतत्ती -- मनोरथ, वांछा ( दे २।३६ ) ।
कुतलग -- छोटे-छोटे टुकड़े ( दअचू पृ ११५ ) ।
कुतव -- चूहे के रोमों से बना वस्त्र - 'कुतवं उंदररोमेसु '
( अनुद्वाहाटी पृ २२ ) ।
कुतिपि -- बिल में रहने वाला क्षुद्र कीट ( अंवि पृ २२९ ) ।
कुत्त -- ठेका, इजारा ( विपा १।१।४९ पा ) देखें - 'कुंत' ।
कुत्तिका -- मधुनिष्पन्न करने वाली मक्षिका विशेष ( प्रसाटी प ५३ ) ।
कुत्तिय -- चतुरिन्द्रिय जन्तु विशेष ( आवचू २ पृ ३१९ ) ।
कुत्तुंबक -- वाद्य-विशेष ( जीव ३।७८ ) ।
कुत्थर -- १ विज्ञान, प्रज्ञा, कलाकौशल ( दे २।१३ ) । २ वृक्ष कोटर । ३ सर्व आदि का बिल ।
कुत्थुंबरी -- बहुबीजक वनस्पति -विशेष ( भ ८।२२० ) ।
कुत्थुहवत्थ -- १ नीवी, अधोवस्त्र को बांधने का नाड़ा ( दे २।३८ ) ।
कुत्थंथूंभरिय -- वनस्पति विशेष, धनिया ( भ २२।३ ) ।
कुटुदुक्का -- नालिका से खेला जाने वाला द्यूत - 'नालिकाक्रीडा कुदुक्का - क्रीडत्ति' ( सूचू १ पृ १७९ ) ।
कुदुव्वर -- वाद्य-विशेष ( आवचू १ पृ ३०९ ) ।
कुद्द -- प्रभुत, प्रचुर ( दे २।३४ ) ।
कुद्दण -- रासक, एक प्रकार का नृत्य ( दे २।३८ ) ।
कुधवा -- वल्ली विशेष ( प्रज्ञा १।४० ) ।
कुधुलूक -- पक्षी-विशेष, उलूक की एक जाति ( अंवि पृ ६२ ) ।
कुप्पढ -- १ गृहाचार, घर का रिवाज ( दे २।३६ ) । २ समुदाचार - 'कुप्पढो गृहाचारः समुदाचार इत्यन्ये' ( वृ ) ।
कुप्पर -- १ तीक्ष्ण, तीखा ( पिनि ४१८ ) । २ कीलाघात, रति-क्रीडा के समय छाती पर एक विशेष प्रकार का आघात करना । ३ समुदाचार, आचार-व्यवहार का सम्यक् पालन । ४ क्रीडा, उपहास ( दे २।६४ ) ।
कुप्पल -- जलयंत्र का एक भाग ( अंवि पृ २५५ ) ।