देशीशब्दकोश /184
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देशी शब्दकोश
कुडुंभग – जलमंडूक की भांति फुदकना अथवा जल में मंडूक की भांति
आवाज करना - कुडुंभगो जलमंडुओ भण्णति........सुंदरं कुडुंभगं
करेसि त्ति मं पि सिक्खावेहि' (निचू १ पृ ७०) ।
कुडुक – कुरुदेश का वासी (व्यमा ४१४ टी प ५२ ) ।
कुडुकालक - मत्स्य की एक जाति (अंवि पृ २२८ )
कुडक्क – १ कुरु देश का वासी ( व्यभा ४४ टीप ५२ ) । २ लतागृह
( व्यभा १० टीप १५ ) । ३ निर्दय, निष्ठुर (निचू २ पृ २६६;
दे २।९३) । ४ देश-विशेष (व्यभा ४ । ४ टी प ५२ ) ।
---
कुडुच्चिअ - संभोग, मैथुन ( दे २१४१ ) ।
कुडुह – उभरा हुआ भाग ( नंदीचू पृ ६४ ) ।
कुड्डु - - १ दीवार ( भ ८१२५७) । २ पात्र विशेष (निचू ३३८६)।
३ कुतूहल, आश्चर्य ( आवमटी प ५३०; दे २३३ ) ।
कुड्डुगिलोई – छिपकली ( दे २११६) ।
कुड्डुलेवणी- चूना, खड़ी, खटिका ( दे २।४२) ।
कुढ – १ चुराई हुई या छीनी हुई वस्तु की खोज करने वाला
(दअचू पृ ५१ ; दे २।६२ ) । २ चुराई हुई चीज को छुड़ानेवाला
(दे २/६२) ।
कुढारक-
६ - घटाकार पात्र ( अंवि पृ ६५ ) ।
कुढावय–अनुगमन - तुरयस्स कुढावयम्मि पडिलग्गो'
(विभामहेटी पृ ५३४) ।
कुढिय – १ चुराई वस्तु को खोजने वाला (पंक ५७४) । २ चुराई वस्तु को
खोजकर लानेवाला (निचू १ पृ १२२ ) । ३ ग्रामप्रधान ।
४ आरक्षक (आवहाटी १ पृ १८१ ) ।
कुढेरग – कन्द-विशेष (पंक ७३३ ) ।
कुण – हास्यास्पद शब्द - वेयणचेद्वाहि एवं कुणं.
.........वा करोतीत्यर्थः'
(निचू ३ पृ ३१ ) ।
कुणक्कय - कुहन वनस्पति का एक प्रकार (प्रज्ञा १९४७ ) ।
कुणिआ- बाड़ का छिद्र (दे २१२४) ।
कुणिक – सेवक- विशेष - 'कुणिकाशव सेवक विशेषा:' (प्रटीप १५ ) ।
कुणिणह–अक्षिरोग विशेष (अंवि पृ २०३ ) ।
कुणिम – १ मांस (सू ११४१८ ) । २ रुधिर, मांस, वसा आदि से संकीर्ण
अपवित्र स्थान (सू १ । ५ । २७ ) । ३ शव ( प्र ३१६ ) ।
४ शव का
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देशी शब्दकोश
कुडुंभग – जलमंडूक की भांति फुदकना अथवा जल में मंडूक की भांति
आवाज करना - कुडुंभगो जलमंडुओ भण्णति........सुंदरं कुडुंभगं
करेसि त्ति मं पि सिक्खावेहि' (निचू १ पृ ७०) ।
कुडुक – कुरुदेश का वासी (व्यमा ४१४ टी प ५२ ) ।
कुडुकालक - मत्स्य की एक जाति (अंवि पृ २२८ )
कुडक्क – १ कुरु देश का वासी ( व्यभा ४४ टीप ५२ ) । २ लतागृह
( व्यभा १० टीप १५ ) । ३ निर्दय, निष्ठुर (निचू २ पृ २६६;
दे २।९३) । ४ देश-विशेष (व्यभा ४ । ४ टी प ५२ ) ।
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कुडुच्चिअ - संभोग, मैथुन ( दे २१४१ ) ।
कुडुह – उभरा हुआ भाग ( नंदीचू पृ ६४ ) ।
कुड्डु - - १ दीवार ( भ ८१२५७) । २ पात्र विशेष (निचू ३३८६)।
३ कुतूहल, आश्चर्य ( आवमटी प ५३०; दे २३३ ) ।
कुड्डुगिलोई – छिपकली ( दे २११६) ।
कुड्डुलेवणी- चूना, खड़ी, खटिका ( दे २।४२) ।
कुढ – १ चुराई हुई या छीनी हुई वस्तु की खोज करने वाला
(दअचू पृ ५१ ; दे २।६२ ) । २ चुराई हुई चीज को छुड़ानेवाला
(दे २/६२) ।
कुढारक-
६ - घटाकार पात्र ( अंवि पृ ६५ ) ।
कुढावय–अनुगमन - तुरयस्स कुढावयम्मि पडिलग्गो'
(विभामहेटी पृ ५३४) ।
कुढिय – १ चुराई वस्तु को खोजने वाला (पंक ५७४) । २ चुराई वस्तु को
खोजकर लानेवाला (निचू १ पृ १२२ ) । ३ ग्रामप्रधान ।
४ आरक्षक (आवहाटी १ पृ १८१ ) ।
कुढेरग – कन्द-विशेष (पंक ७३३ ) ।
कुण – हास्यास्पद शब्द - वेयणचेद्वाहि एवं कुणं.
.........वा करोतीत्यर्थः'
(निचू ३ पृ ३१ ) ।
कुणक्कय - कुहन वनस्पति का एक प्रकार (प्रज्ञा १९४७ ) ।
कुणिआ- बाड़ का छिद्र (दे २१२४) ।
कुणिक – सेवक- विशेष - 'कुणिकाशव सेवक विशेषा:' (प्रटीप १५ ) ।
कुणिणह–अक्षिरोग विशेष (अंवि पृ २०३ ) ।
कुणिम – १ मांस (सू ११४१८ ) । २ रुधिर, मांस, वसा आदि से संकीर्ण
अपवित्र स्थान (सू १ । ५ । २७ ) । ३ शव ( प्र ३१६ ) ।
४ शव का
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