देशीशब्दकोश /180
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द्रवस्वरूपो माथुशब्दतया ख्यातो वस्तुविशेषः, स च किल जीरकादिभिः संस्कृतोऽतीव स्वादुर्भवति (आवटि प २४) ।
कुउआ -- तुम्बी पात्र ( दे २।१२ ) - 'भिक्खु ! को तुह कुउअं पूरिस्सइ पिण्डवाएण' ( वृ ) ।
कुऊल -- १ नीवी, अधोवस्त्र को बांधने का नाड़ा ( दे २।३८ ) । २ पहने हुए कपड़े का प्रांत भाग, अञ्चल - 'कुऊलं परिहितवस्त्रप्रान्त इति केचित्' ( वृ ) ।
कुंकुण -- चतुरिन्द्रिय जंतु विशेष ( उ ३६।१४६ ) ।
कुंचल -- मुकुल, कलिका ( दे २।३६ ) ।
कुंचवीरग -- जलयान-विशेष - 'कुंचवीरगो सगडपक्खसारिच्छं जलयाणं कज्जति' ( निचू ४ पृ ५० ) ।
कुंटल -- जादू-टोना ( दजिचू पृ २८२ ) ।
कुंटलविंटल -- १ मन्त्र-तन्त्र का प्रयोग ( व्यभा ४।३ टीप ९६ ) । २ मंत्र-तंत्र से आजीविका चलाने वाला ।
कुंटार -- म्लान ( दे २।८० ) ।
कुंटि -- १ गठरी । २ वस्त्र में बंधा हुआ ( दे २।३४ ) । ३ वस्त्र-विशेष ।
कुंटुल्लिग -- बच्चों का खिलौना ( सूचू १ पृ ११७ टि ) ।
कुंड -- १ गोत्र विशेष ( अंवि पृ १४९ ) । २ बास से बना हुआ ईख पेरने का जीर्ण काण्ड ( दे २।३३ ) ।
कुंडग -- तुष मिश्रित चावलों की भूसी - 'तुसमुहीकणिया कुक्कसमीसा कुंडग भण्णति' ( निचू २ पृ २३७ ) । २ कुंडा ( अंवि पृ ६५ ) ।
कुंडरोट्ट -- निस्तुषधान्य - 'कुंडरोट्टो पुण णितुसा' ( निचू २ पृ २३७ ) ।
कुंडिअ -- ग्राम का अधिपति, गांव का मुखिया ( दे २।३७) ।
कुंडिअपेसण -- ब्राह्मणविष्टि, ब्राह्मण को जबरदस्ती से दी जाने वाली सेवा (दे २।४३) ।
कुंडिल्लगा -- बच्चों का खिलौना - 'कुंडिल्लगा चेडरूवरमणिका' ( सूचू १ पृ ११८ ) ।
कुंडुक्क -- वनस्पति विशेष ( आटी प ५७ ) ।
कुंडुल्लिग -- बच्चों का खिलौना ( सूचू १ पृ ११८ टि ) ।
कुंढ -- १ आलसी ( उशाटी प १०८ ) । २ मूर्ख ( उसुटी प ३२ ) ।
कुंढय -- १ चुल्ली, चुल्हा । २ छोटा बरतन ( दे २।६३ ) ।
कुंत -- १ ठेका, इजारा - 'कुन्तकम् - एतावद् द्रव्यं त्वया देयमित्येवं नियंत्रणया
कुउआ -- तुम्बी पात्र ( दे २।१२ ) - 'भिक्खु ! को तुह कुउअं पूरिस्सइ पिण्डवाएण' ( वृ ) ।
कुऊल -- १ नीवी, अधोवस्त्र को बांधने का नाड़ा ( दे २।३८ ) । २ पहने हुए कपड़े का प्रांत भाग, अञ्चल - 'कुऊलं परिहितवस्त्रप्रान्त इति केचित्' ( वृ ) ।
कुंकुण -- चतुरिन्द्रिय जंतु विशेष ( उ ३६।१४६ ) ।
कुंचल -- मुकुल, कलिका ( दे २।३६ ) ।
कुंचवीरग -- जलयान-विशेष - 'कुंचवीरगो सगडपक्खसारिच्छं जलयाणं कज्जति' ( निचू ४ पृ ५० ) ।
कुंटल -- जादू-टोना ( दजिचू पृ २८२ ) ।
कुंटलविंटल -- १ मन्त्र-तन्त्र का प्रयोग ( व्यभा ४।३ टीप ९६ ) । २ मंत्र-तंत्र से आजीविका चलाने वाला ।
कुंटार -- म्लान ( दे २।८० ) ।
कुंटि -- १ गठरी । २ वस्त्र में बंधा हुआ ( दे २।३४ ) । ३ वस्त्र-विशेष ।
कुंटुल्लिग -- बच्चों का खिलौना ( सूचू १ पृ ११७ टि ) ।
कुंड -- १ गोत्र विशेष ( अंवि पृ १४९ ) । २ बास से बना हुआ ईख पेरने का जीर्ण काण्ड ( दे २।३३ ) ।
कुंडग -- तुष मिश्रित चावलों की भूसी - 'तुसमुहीकणिया कुक्कसमीसा कुंडग भण्णति' ( निचू २ पृ २३७ ) । २ कुंडा ( अंवि पृ ६५ ) ।
कुंडरोट्ट -- निस्तुषधान्य - 'कुंडरोट्टो पुण णितुसा' ( निचू २ पृ २३७ ) ।
कुंडिअ -- ग्राम का अधिपति, गांव का मुखिया ( दे २।३७) ।
कुंडिअपेसण -- ब्राह्मणविष्टि, ब्राह्मण को जबरदस्ती से दी जाने वाली सेवा (दे २।४३) ।
कुंडिल्लगा -- बच्चों का खिलौना - 'कुंडिल्लगा चेडरूवरमणिका' ( सूचू १ पृ ११८ ) ।
कुंडुक्क -- वनस्पति विशेष ( आटी प ५७ ) ।
कुंडुल्लिग -- बच्चों का खिलौना ( सूचू १ पृ ११८ टि ) ।
कुंढ -- १ आलसी ( उशाटी प १०८ ) । २ मूर्ख ( उसुटी प ३२ ) ।
कुंढय -- १ चुल्ली, चुल्हा । २ छोटा बरतन ( दे २।६३ ) ।
कुंत -- १ ठेका, इजारा - 'कुन्तकम् - एतावद् द्रव्यं त्वया देयमित्येवं नियंत्रणया