2023-03-02 09:32:48 by श्री अयनः चट्टोपाध्यायः

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द्रवस्वरूपो माथुशब्दतया ख्यातो वस्तुविशेषः, स च किल जीरकादिभिः संस्कृतोऽतीव स्वादुर्भवति (आवटि प २४) ।
कुउआ -- तुम्बी पात्र ( दे २।१२ ) - 'भिक्खु ! को तुह कुउअं पूरिस्सइ पिण्डवाएण' ( वृ ) ।
कुऊल -- १ नीवी, अधोवस्त्र को बांधने का नाड़ा ( दे २।३८ ) । २ पहने हुए कपड़े का प्रांत भाग, अञ्चल - 'कुऊलं परिहितवस्त्रप्रान्त इति केचित्' ( वृ ) ।
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कुंकुण -- चतुरिन्द्रिय जंतु विशेष ( उ ३६१४६ ) ।
कुंचल -- मुकुल, कलिका ( दे २३६ ) ।
कुंचवीरग- -- जलयान- विशेष - 'कुंचवीरगो
कज्जति' (निचू ४ पृ५० ) ।
 
कुंटल - जादू-टोना (दजिचू पृ २५२ ) ।
 
सगडपक्खसारिच्छं जलयाणं
कज्जति' ( निचू ४ पृ ५० ) ।
कुंटलवं -- जादू-टोना ( दजिचू पृ २८२ ) ।
कुं
टलविंटल -- १ मन्त्र-तन्त्र का प्रयोग ( व्यभा ४३ टीप ६ ) । २ मंत्र-
तंत्र से आजीविका चलाने वाला ।

कुंटार -- म्लान ( दे २८० ) ।

कुंटि -- १ गठरी । २ वस्त्र में बंधा हुआ ( दे २३४ ) । ३ वस्त्र -विशेष ।
कुंटुल्लिंलि-- बच्चों का खिलौना ( सूचू १ पृ ११७ टि ) ।
कुंड --- १ गोत्र विशेष ( अंवि पृ १४६) । २ बां९ ) । २ बास से बना
हुआ ईख पेरने का जीर्ण काण्ड ( दे २ । ३३ ) ।
 
हुआ ईख पेरने का
 
कुक्कसमीसा
।३३ ) ।
कुंडग
 
कुंडग
-- तुष मिश्रित चावलों की भूसी - 'तुसमुहीकणिया
कुक्कसमीसा कुंडग भण्णति' ( निचू २ पृ २३७ ) । २ कुंडा ( अंवि पृ ६५ ) ।
कुंडरोट्ट -- निस्तुषधान्य - 'कुंडरोट्टो पुण णितुसा' ( निचू २ पृ २३७ ) ।
कुंडिअ -- ग्राम का अधिपति, गांव का मुखिया ( दे २३७) ।
कुंडिअपेसण -- ब्राह्मणविष्टि, ब्राह्मण को जबरदस्ती से दी जाने वाली सेवा
(दे २४३) ।

कुंडिल्लगा -- बच्चों का खिलौना- - 'कुंडिल्लगा चेडरूव-रमणिका'
(
( सूचू १ पृ ११८ ) ।

कुंडुक्क -- वनस्पति विशेष ( आटी प ५७ ) ।
कुंडुल्लिग -- बच्चों का खिलौना ( सूचू १ पृ ११८ टि ) ।
कुंढ -- १ आलसी ( उशाटी प १०८ ) । २ मूर्ख ( उसुटी प ३२ ) ।
कंकुंढय -- १ चुल्ली, चुल्हा । २ छोटा बरतन ( दे २।६३) ।
 

 
-
) ।
कुंत --
१ ठेका, इजारा- - 'कुन्तकम् - एतावद् द्रव्यं त्वया देयमित्येवं नियंत्रणया
 
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