देशीशब्दकोश /180
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कुउआ -- तुम्बी पात्र ( दे
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२०१२ ) - भिक्खु ! को तुह कुउअं पूरिस्सइ
कुऊल
@
कुंकुण- चतुरिन्द्रिय जंतु विशेष ( उ ३६ । १४६) ।
कुंचल – मुकुल, कलिका ( दे २१३६ ) ।
कुंचवीरग- - जलयान- विशेष - 'कुंचवीरगो
कज्जति' (निचू ४ पृ५० ) ।
कुंटल - जादू-टोना (दजिचू पृ २५२ ) ।
सगडपक्खसारिच्छं जलयाणं
कुंटलवंटल – १ मन्त्र-तन्त्र का प्रयोग ( व्यभा ४१३ टीप ४६ ) । २ मंत्र-
तंत्र से आजीविका चलाने वाला ।
कुंटार – म्लान ( दे २१८० ) ।
कुंटि– १ गठरी । २ वस्त्र में बंधा हुआ ( दे २ । ३४ ) । ३ वस्त्र विशेष ।
कुंटुल्लिंग - बच्चों का खिलौना (सूचू १ पृ ११७ टि) ।
कुंड --- १ गोत्र विशेष (अंवि पृ १४६) । २ बांस से बना
जीर्ण काण्ड ( दे २ । ३३ ) ।
हुआ ईख पेरने का
कुक्कसमीसा कुंडग
कुंडग- तुष मिश्रित चावलों की भूसी - तुसमुहीकणिया
भण्णति' (निचू २ पृ २३७) । २ कुंडा ( अंवि पृ ६५ ) ।
कुंडरोट्ट — निस्तुषधान्य - 'कुंडरोट्टो पुण णितुसा' (निचू २ पृ २३७ ) ।
कुंडिअ - ग्राम का अधिपति, गांव का मुखिया (दे २१३७) ।
कुंडिअपेसण -- ब्राह्मणविष्टि, ब्राह्मण को जबरदस्ती से दी जाने वाली सेवा
(दे २॥४३) ।
कुंडिल्लगा- बच्चों का खिलौना- कुंडिल्लगा चेडरूव-रमणिका'
(सूचू १ पृ ११८ ) ।
कुंडुक्क – वनस्पति विशेष (आटी प ५७ ) ।
कुंडुल्लिग – बच्चों का खिलौना (सूचू १ पृ ११८ टि) ।
कुंढ – १ आलसी (उशाटीप १०८ ) । २ मूर्ख ( उसुटीप ३२ ) ।
कंढय – १ चुल्ली, चुल्हा । २ छोटा बरतन (दे २।६३) ।
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-१ ठेका, इजारा- कुन्तकम् - एतावद् द्रव्यं त्वया देयमित्येवं नियंत्रणया
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