देशीशब्दकोश /164
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कण्हाकडभु -- वनस्पति-विशेष ( भ २३।१ ) ।
कण्हाल -- काली मिट्टी की भूमी - 'जहा कण्हाले जं पाणियं पडति तं ण कतोवि ओलुटति' ( आवचू १ पृ १२१ ) ।
कण्हुइ -- १ कुतश्चित्, कहीं भी ( उ १।७ ) । २ किंचित् ( दश्रुचू प ९१ ) ।
कण्हेरी -- मादा पशु-विशेष ( अंवि पृ ६९ ) ।
कतवार -- तृण आदि का समूह ( दे २ । ११ ) ।
।११ ) ।
कत्ता–-- अन्धिका द्यूत की कपर्दिका, कौड़ी ( दे २।१ ) ।
कत्तोइ -- कहीं ( विपाटी प ८३ ) ।
कत्थइ –-- क्वचित् ( प्रा २।१७४) ।
-
) ।
कत्थभाणी–-- जलीय वनस्पति -विशेष ( प्रज्ञाटी प ३४) ।
) ।
कत्थलायण -- गोत्र - -विशेष ( अंवि पृ १५० ) ।
कत्थूल–-- गुल्म-विशेष ( जीव ३।५८० ) ।
-
—
कदुक्का –-- नालिकाक्रीड़ा ( सूचू १ पृ १७९ ) ।
कद्दमिअ- -- महिष, भैंसा ( दे २ । ।१५ ) ।
कदुइय-- -- वल्ली विशेष ( प्रज्ञा १।४० । २।२ ) ।
कनंगर–-- पाषाणमय लंगर ( विपाटी प ७१ ) ।
कन्न 'लइअ'–-- कानों में पहिना हुआ, कानों में पिनद्ध ( पिनि ५९१ ) ।
कन्नामोडि -- कान मरोड़ना, कान खींचना ( बुचू प २०६ ) ।
कन्नारोडग–-- कानों को बहरा करने वाला ( शब्द ) ( आवचू १ पृ ११० ) ।
कन्नारोडय- -- कानों के लिए अवरोधक, रोड़ा ( बृटी पृ ५३ ) ।
कन्नोली -- कान का आभूषण ( पा ८४) ।
-
) ।
कपिह–-- दुष्ट घोड़ा ( उचू पृ ३० ) ।
-
कप्पट्ट -- १ बच्चा ( व्याभा ७ टीप ४० ) । २ ईश्वर-पुत्र, धनिक-पुत्र
( ( व्यमा ४।२ टी प ४० ) ।
कप्पट्ठग– -- बच्चा ( निभा ३८० ) ।
कप्पट्टिया -- श्रेष्ठिवधू । २ कुलपुत्री ( स्थाटी प २५३ ) ।
कप्पट्ठी–-- १ तरुण स्त्री ( वृभा १८४२ ) । २ बालिका
(( व्यमा ४।४ टी प १२ ) । ३ कुलवधू ( व्यभा ४ । ।३ टी प ५२ ) ।
कप्पड–-- कपड़ा, वस्त्र ( प्रसा ४३४) ।
) ।
कप्पणिय–-- जाति- विशेष - 'मुरुंडोड्डगोडकप्पणिया' ( कु पृ ४० ) ।
कप्पयारी–-- दासी – 'दासीओ कप्पयारीउ त्ति' ( सूचू १ पृ २०१)।
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) ।
कण्हाल -- काली मिट्टी की भूमी - 'जहा कण्हाले जं पाणियं पडति तं ण कतोवि ओलुटति' ( आवचू १ पृ १२१ ) ।
कण्हुइ -- १ कुतश्चित्, कहीं भी ( उ १।७ ) । २ किंचित् ( दश्रुचू प ९१ ) ।
कण्हेरी -- मादा पशु-विशेष ( अंवि पृ ६९ ) ।
कतवार -- तृण आदि का समूह ( दे २
कत्ता
कत्तोइ -- कहीं ( विपाटी प ८३ ) ।
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कत्थभाणी
कत्थलायण -- गोत्र
कत्थूल
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कद्दमिअ
कदुइय
कनंगर
कन्न 'लइअ'
कन्नामोडि -- कान मरोड़ना, कान खींचना ( बुचू प २०६ ) ।
कन्नारोडग
कन्नारोडय
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कपिह
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(
कप्पट्ठग
कप्पट्ठी
(
कप्पड
कप्पणिय
कप्पयारी
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