2023-02-27 11:33:54 by श्री अयनः चट्टोपाध्यायः

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कण्णविवोड -- कान खींचना ( बूटी पृ १५२३ ) ।
कण्णस्सरिअ -- कानी नजर से देखना, कटाक्ष ( दे २।२४) ।
कण्णाआस -- कान का आभूषण, कुण्डल आदि ( दे २।२३ ) ।
कण्णाइंधण -- कान का आभूषण, कुंडल आदि ( दे २।२३ )
कण्णाउडय -- कान मरोडना - 'कुंभकारेण तस्स खुड्डगस्स कण्णाउडओ दिण्णो' ( आवचू १ पृ ६१४ ) ।
कण्णाकण्णि -- आकंठ - 'कण्णाकण्णि भरिते' ( निचू ४ पृ १५९ ) ।
कण्णास -- पर्यन्त, अन्त भाग ( दे २।१४ ) ।
कण्णासय -- पर्यन्त - 'रच्छाकण्णासयम्मि दट्ठूण' ( दे २।१४ वृ ) ।
कण्णाहड -- कर्णाकणिकया - 'अम्हं आयरियाणं सुतीए कण्णाहडं च सोउं जे ' ( ति ७०७ ) ।
कण्णाहाडिय -- कानों से गुपचुप सुनकर जान लेना- तेण तेसिं पासओ विज्जा कण्णाहाडिया' ( आवहाटी १ पृ २७४ ) ।
कण्णाहेडित -- कान लगाकर सुनना - 'गुरुसमीवातो तेणागतं, ण कण्णाहेडितं' ( अनुद्वाचू पृ ८ ) ।
कण्णिवल्लि -- वनस्पति-विशेष ( अंवि पृ ५ ) ।
कण्णु -- मकान का अग्रभाग आदि ( ? ) - 'तत्थ जूयं खेल्लिमो, खत्तं खणिमो कण्णुं तोडिमो, पंथं मूसिमो' ( कु पृ ५७ ) ।
कण्णोच्छडिया -- १ दत्तकर्णा, ध्यानपूर्वक सुनने वाली स्त्री । २ प्रत्युत्तर करने के लिए दूसरे की बात को पकड़ने वाली ( दे २।२२ ) ।
कण्णोड्ढीढिया -- नीरंगिका, घुंघट, आवरण ( दे २।२० ) ।
कण्णोड्ढी -- घुंघट, नीरंगिका - 'मुंच कणोड्ढि' ( दे २।२० वृ ) ।
कण्णोढत्ती -- १ दत्तकर्णा, ध्यानपूर्वक सुनने वाली स्त्री । २ प्रत्युत्तर करने के लिए दूसरे की बात को पकड़ने वाली ( दे २।२२ ) ।
कण्णोल्ली -- १ चोंच । २ अवतंस, कलंगी ( दे २।५७ ) ।
कण्णोस्सरिअ -- १ कानी नजर से देखना, कटाक्ष, टेढ़ी नजर से देखना ( दे २।२४ ) । २ टेढ़ी नजर से देखा हुआ ( वृ ) ।
कण्ह -- १ वल्ली विशेष, जटामासी ( प्रज्ञा १।४० ) । २ हरित वनस्पति-विशेष, कृष्ण तुलसी ( प्रज्ञा १।४४ ) ।
कण्हगुलिका -- बिलाशयी जंतु-विशेष - 'तत्थ बिलासयेसु कण्हगुलिका सेतगुलिका खुल्लिका' ( अंवि पृ २२९ ) ।