देशीशब्दकोश /154
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कउह -- नित्य ( दे २।५ ) ।
कंकडुय -- चना आदि धान्य जो अग्नि से नहीं पकता, कोरडू - 'चणयादीण उक्क्खडियाण जे ण सिज्झंति ते कंकडुया' (निचू ३ पृ ४८४) । देखें - उवक्खडाम
कंकण -- चतुरिन्द्रिय जंतु-विशेष ( उ ३६।१४७ ) ।
कंकदुय -- कोरडू धान, वह धान जो पकाए जाने पर भी नहीं पकता ( कु पृ २१० ) ।
कंकिल्लि -- अशोक वृक्ष ( प्रसा ४४० ) ।
कंकेल्लि -- अशोक वृक्ष ( औपटी पृ १७ ; दे २।१२ ) ।
कंकोड -- १ वनस्पति विशेष, ककरैल की सब्जी ( दे २।७ ) । २ सांप की एक जाति ।
कंगु -- १ धान्य-विशेष - 'बृहच्छिरा कंगू' ( निचू २ पृ १०९ ) । २ पीत तण्डुल ( प्रसा ९९९ ) ।
कंगुलिया -- मलमूत्र – 'कंगुलिकां - लध्वीं महतीं च नीति विधत्ते' ( प्रसा ४३३ ) ।
कंचणिका -- भाजन-विशेष ( अंवि पृ ७२ ) ।
कंचणिया -- रुद्राक्ष की माला ( भ २।३१ ) ।
कंचिक्क -- नपुंसक – 'भेसेति कतो इधेस कंचिक्को' ( बृभा ५१८३ ) ।
कंची -- मुसल के मुख पर रहने वाला लोह-वलय ( दे २।१ ) ।
कंजुसिणोदेहि -- कांजिका - 'कंजुसिणोदेहि त्ति इह च लाटदेशेऽवश्रावणं काञ्जिकं भण्यते' ( बृटी पृ ८७१ ) ।
कंटउच्चि -- कण्टकप्रोत, कांटों से बींधा हुआ ( दे २।१७ ) ।
कंटक -- बिच्छु की विष-प्रधान पूंछ - 'वृश्चिकस्य महाविषलांगूलं कण्टक उच्यते' ( व्यभा ६ टी प ५७ ) ।
कंटाली -- वनस्पति-विशेष, कण्टकारिका ( दे २।४ ) ।
कंटासक -- फल-विशेष, पनस ( ? ) ( अंवि पृ ६४ ) ।
कंटिका -- करधनी - 'जंबूका मेखल त्ति वा कंटिक त्ति व जो बूया' ( अंवि पृ ७१ ) ।
कंटुल्ल -- ककरैल, एक प्रकार की सब्जी जो वर्षा में ही होती है ( पा ३८२ ) ।
कंटेण -- पशु-विशेष ( अंवि पृ ६२ ) ।
कंटोल -- ककरैल वनस्पति की सब्जी ( दे २।७ ) ।
कंठ -- १ सूकर, सूअर । २ मर्यादा, सीमा ( दे २।५१ ) ।
कंकडुय -- चना आदि धान्य जो अग्नि से नहीं पकता, कोरडू - 'चणयादीण उक्क्खडियाण जे ण सिज्झंति ते कंकडुया' (निचू ३ पृ ४८४) । देखें - उवक्खडाम
कंकण -- चतुरिन्द्रिय जंतु-विशेष ( उ ३६।१४७ ) ।
कंकदुय -- कोरडू धान, वह धान जो पकाए जाने पर भी नहीं पकता ( कु पृ २१० ) ।
कंकिल्लि -- अशोक वृक्ष ( प्रसा ४४० ) ।
कंकेल्लि -- अशोक वृक्ष ( औपटी पृ १७ ; दे २।१२ ) ।
कंकोड -- १ वनस्पति विशेष, ककरैल की सब्जी ( दे २।७ ) । २ सांप की एक जाति ।
कंगु -- १ धान्य-विशेष - 'बृहच्छिरा कंगू' ( निचू २ पृ १०९ ) । २ पीत तण्डुल ( प्रसा ९९९ ) ।
कंगुलिया -- मलमूत्र – 'कंगुलिकां - लध्वीं महतीं च नीति विधत्ते' ( प्रसा ४३३ ) ।
कंचणिका -- भाजन-विशेष ( अंवि पृ ७२ ) ।
कंचणिया -- रुद्राक्ष की माला ( भ २।३१ ) ।
कंचिक्क -- नपुंसक – 'भेसेति कतो इधेस कंचिक्को' ( बृभा ५१८३ ) ।
कंची -- मुसल के मुख पर रहने वाला लोह-वलय ( दे २।१ ) ।
कंजुसिणोदेहि -- कांजिका - 'कंजुसिणोदेहि त्ति इह च लाटदेशेऽवश्रावणं काञ्जिकं भण्यते' ( बृटी पृ ८७१ ) ।
कंटउच्चि -- कण्टकप्रोत, कांटों से बींधा हुआ ( दे २।१७ ) ।
कंटक -- बिच्छु की विष-प्रधान पूंछ - 'वृश्चिकस्य महाविषलांगूलं कण्टक उच्यते' ( व्यभा ६ टी प ५७ ) ।
कंटाली -- वनस्पति-विशेष, कण्टकारिका ( दे २।४ ) ।
कंटासक -- फल-विशेष, पनस ( ? ) ( अंवि पृ ६४ ) ।
कंटिका -- करधनी - 'जंबूका मेखल त्ति वा कंटिक त्ति व जो बूया' ( अंवि पृ ७१ ) ।
कंटुल्ल -- ककरैल, एक प्रकार की सब्जी जो वर्षा में ही होती है ( पा ३८२ ) ।
कंटेण -- पशु-विशेष ( अंवि पृ ६२ ) ।
कंटोल -- ककरैल वनस्पति की सब्जी ( दे २।७ ) ।
कंठ -- १ सूकर, सूअर । २ मर्यादा, सीमा ( दे २।५१ ) ।