देशीशब्दकोश /143
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एडिज्जमाण-उत्सृज्यमान,
एडेत्ता — उत्सृज्य, उत्सर्जन करके ( ज्ञा १११६।७३) ।
एणुवासिअ - मेंढक (दे १।१४७) ।
१ १४४ वृ) ।
एत्ता – अब ( दे
एत्तोप्पं – यहां से
लेकर, यहां से ( दे १ । १४४) ।
उत्सर्जन करता हुआ (ज्ञा १ । १६ ।७५) ।
एद्दह - इतना (दे १।१४४ वृ ) ।
एमाण - प्रवेश करता हुआ ( दे १ । १४४)।
एमिणिआ— वह स्त्री, जिसके शरीर को किसी देश के रिवाज के अनुसार,
}
सूत के धागे से नाप कर उस धागे को फेंक दिया जाता है
(दे १।१४५) ।
देशी शब्दकोश
एयावंति - इतना (आ १।७) ।
एरंडइअ— पागल - एरंडइए साणे त्ति हडक्कायित: श्वा' (बृटी पृ८२६)
एरंडइत - - पागल (दश्रुचू प ५१ ) ।
एरग - नागरमोथा ( बृभा १२२३ ) ।
एराणी-१ इन्द्राणी । २ इंद्राणीव्रत का पालन करने वाली स्त्री
(दे १।१४७) ।
एरावण-गुच्छ वनस्पति विशेष (प्रज्ञा १ । ३७१४) ।
एल -- कुशल ( दे १ । १४४) ।
एलवालुंकी – एक प्रकार की ककड़ी की बेल (प्रज्ञा ११४० १) ।
एलविल– १ धनाढ्य । २ वृषभ, बैल ( दे १।१४८) ।
एलालय – आलू की एक जाति, कंद - विशेष ( अनु ३ । ५१ ) ।
एलालुग— ककड़ी- एलालुग माउलिंग फलमादी' (बृभा २४४२ ) ।
एलावालुंकी - वनस्पति विशेष ( भ २२१६ ) ।
एवड —— इतना - 'एवड्डुं आलावगं सक्केहिति गेण्हिउं'
(आवहाटी १ पृ ६९)।
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एवण्हं – वाक्यालंकार - एवण्ह मिति वाक्यालङ्कारे (बूटी पृ १४९१) ।
एव्वेल–अधुना, अभी - एव्वेलं पहामोत्ति नमोक्कार घोसंतस्सेव'
(आवहाटी १ पृ ३०३) ।
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एडिज्जमाण-उत्सृज्यमान,
एडेत्ता — उत्सृज्य, उत्सर्जन करके ( ज्ञा १११६।७३) ।
एणुवासिअ - मेंढक (दे १।१४७) ।
१ १४४ वृ) ।
एत्ता – अब ( दे
एत्तोप्पं – यहां से
लेकर, यहां से ( दे १ । १४४) ।
उत्सर्जन करता हुआ (ज्ञा १ । १६ ।७५) ।
एद्दह - इतना (दे १।१४४ वृ ) ।
एमाण - प्रवेश करता हुआ ( दे १ । १४४)।
एमिणिआ— वह स्त्री, जिसके शरीर को किसी देश के रिवाज के अनुसार,
}
सूत के धागे से नाप कर उस धागे को फेंक दिया जाता है
(दे १।१४५) ।
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एयावंति - इतना (आ १।७) ।
एरंडइअ— पागल - एरंडइए साणे त्ति हडक्कायित: श्वा' (बृटी पृ८२६)
एरंडइत - - पागल (दश्रुचू प ५१ ) ।
एरग - नागरमोथा ( बृभा १२२३ ) ।
एराणी-१ इन्द्राणी । २ इंद्राणीव्रत का पालन करने वाली स्त्री
(दे १।१४७) ।
एरावण-गुच्छ वनस्पति विशेष (प्रज्ञा १ । ३७१४) ।
एल -- कुशल ( दे १ । १४४) ।
एलवालुंकी – एक प्रकार की ककड़ी की बेल (प्रज्ञा ११४० १) ।
एलविल– १ धनाढ्य । २ वृषभ, बैल ( दे १।१४८) ।
एलालय – आलू की एक जाति, कंद - विशेष ( अनु ३ । ५१ ) ।
एलालुग— ककड़ी- एलालुग माउलिंग फलमादी' (बृभा २४४२ ) ।
एलावालुंकी - वनस्पति विशेष ( भ २२१६ ) ।
एवड —— इतना - 'एवड्डुं आलावगं सक्केहिति गेण्हिउं'
(आवहाटी १ पृ ६९)।
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एवण्हं – वाक्यालंकार - एवण्ह मिति वाक्यालङ्कारे (बूटी पृ १४९१) ।
एव्वेल–अधुना, अभी - एव्वेलं पहामोत्ति नमोक्कार घोसंतस्सेव'
(आवहाटी १ पृ ३०३) ।
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