2023-02-22 19:11:23 by श्री अयनः चट्टोपाध्यायः

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एडिज्जमाण -- उत्सृज्यमान, उत्सर्जन करता हुआ ( ज्ञा १।१६।७५ ) ।
एडेत्ता -- उत्सृज्य, उत्सर्जन करके ( ज्ञा १।१६।७३ ) ।
एणुवासिअ -- मेंढक ( दे १।१४७ ) ।
एत्ताहे -- अब ( दे १।१४४ वृ ) ।
एत्तोप्पं -- यहां से लेकर, यहां से ( दे १।१४४ ) ।
एद्दह -- इतना ( दे १।१४४ वृ ) ।
एमाण -- प्रवेश करता हुआ ( दे १।१४४ ) ।
एमिणिआ -- वह स्त्री, जिसके शरीर को किसी देश के रिवाज के अनुसार, सूत के धागे से नाप कर उस धागे को फेंक दिया जाता है ( दे १।१४५ ) ।
एयावंति -- इतना ( आ १।७ ) ।
एरंडइअ— पागल - 'एरंडइए साणे त्ति हडक्कायित: श्वा' ( बृटी पृ ८२९ ) ।
एरंडइत -- पागल ( दश्रुचू प ५१ ) ।
एरग -- नागरमोथा ( बृभा १२२३ ) ।
एराणी -- १ इन्द्राणी । २ इंद्राणीव्रत का पालन करने वाली स्त्री ( दे १।१४७ ) ।
एरावण -- गुच्छ वनस्पति-विशेष ( प्रज्ञा १।३७।४ ) ।
एल -- कुशल ( दे १।१४४ ) ।
एलवालुंकी -- एक प्रकार की ककड़ी की बेल ( प्रज्ञा १।४०।१ ) ।
एलविल -- १ धनाढ्य । २ वृषभ, बैल ( दे १।१४८ ) ।
एलालुय -- आलू की एक जाति, कंद-विशेष ( अनु ३।५१ ) ।
एलालुग -- ककड़ी - 'एलालुग माउलिंग फलमादी' ( बृभा २४४२ ) ।
एलावालुंकी -- वनस्पति-विशेष ( भ २२।६ ) ।
एवड्ड -- इतना - 'एवड्डं आलावगं सक्केहिति गेण्हिउं' ( आवहाटी १ पृ ६९ ) ।
एवण्हं -- वाक्यालंकार - 'एवण्ह मिति वाक्यालङ्कारे' ( बृटी पृ १४९१ ) ।
एव्वेल -- अधुना, अभी - 'एव्वेलं पहामोत्ति नमोक्कारं घोसंतस्सेव' ( आवहाटी १ पृ ३०३ ) ।