2023-02-22 11:12:10 by श्री अयनः चट्टोपाध्यायः

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उव्वेहलिया -- वनस्पति-विशेष ( भ २३।४ ) ।
उव्वेहासित -- ऊंचा किया हुआ ( अंवि पृ १४८ ) ।
उसणसेण -- बलभद्र ( दे १।११८ ) ।
उसणी -- एक प्रकार का धान्य जिसमें से तेल निकलता है ( अंवि पृ २३२ ) ।
उसद्ध -- उत्कृष्ट – 'उसद्धं - उत्कृष्टं' ( आचू पृ ३६२ ) ।
उसध -- पुष्प-विशेष ( अंवि पृ २३२ ) ।
उसीर -- पद्मनाल, कमलनाल ( दे १।९४ ) ।
उसु -- बालक का इषु के आकार का एक आभरण ( पिनि ४२४ ) । २ तिलक - 'उसू तिलगा' ( निचू ३ पृ ४०७ ) ।
उसुअ -- दूषण, भूल ( दे १।८९ ) ।
उसुक -- तिलक, आभरण- विशेष ( निचू ३ पृ ४०७ )।
उसुकाल -- उदूखल ( निचू ३ पृ ३७८ ) ।
उसुयाल -- ऊखल, उदूखल ( आचूला ५। ३६ ) ।
उस्स -- ओस ( स्था ४।६४० ) ।
उस्सण्ण -- १ प्राय: ( बृभा २०४ ) । २ प्रभुत ( व्यभा २ टी प ९२ ) ।
उस्सन्न -- प्रायः ( भ १५।१८६ वृ ) ।
उस्सयण -- अभिमान - पलिउंचणं च भयणं च थंडिल्लुस्सयणाणि च ( सू १।९।११ ) ।
उस्सरण -- वपन, बुआई - 'निच्चुदग नदी कुडंगमुस्सरणं' ( बृभा ४०३५ ) ।
उस्सा -- गाय ( दे १।८६ वृ ) ।
उस्सिसिंघण -- मर्दन- 'उस्सिंघण-मक्खणऽब्भंगण उच्छंदण उव्वट्टण' ( अंवि पृ १९३ ) ।
उस्सुग -- मध्य-भाग ( आचूला १।११६ पा ) ।
उस्सुसूलग -- परिखा, खाई ( उ ९।१८ ) । देखें-'उच्छूलग' ।
उस्सूलय -- १ परिखा । २ शत्रु सेना का नाश करने के लिए ऊपर से आच्छादित गर्त्त- विशेष ( उशाटी प ३१० ) ।
उस्सेल्लय -- सर्षपनाल से निष्पन्न शाक- एगेण साहुणा सासवणालुस्सेल्लयं सुसंभृतं लद्धं' ( निचू ३ पृ २६४ ) ।
उहर -- १ छोटा घर, उपगृह ( प्र १।१२ ) - उहर त्ति उपगृहाणि आश्रय-विशेषा:' ( टी प ११ ) ।२ छोटा- 'उहरग्गाममयंमी' ( व्यभा ७ टी प ५६ ) ।