देशीशब्दकोश /120
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उच्चुप्पिय -- आरूढ़ ( दे १।१०० ) ।
उच्चुलउलिय -- कुतूहलवश त्वरता से जाना ( दे १।१२१ ) ।
उच्चुल्ल -- १ उद्विग्न । २ अधिरूढ़, चढ़ा हुआ । ३ भयभीत ( दे २।१२७ ) ।
उच्चूर -- विविध प्रकार-'उच्चूरपउरलंभे' ( व्यभा ४।२ टी प ८२ ) ।
उच्चेल्लर -- १ हल आदि से बिना जोती हुई भूमी । २ साथल के रोम ( दे १।१३६ ) ।
उच्चेव -- प्रकट ( दे १।९७ ) ।
उच्चोल -- १ विश्रान्त । २ नीवी, स्त्री के अधोवस्त्र के दोनों छोरों पर दी जाने वाली गांठ ( दे १।१३१ ) । ३ चुल्लू, चुलुक-'पाणिए उच्चोल-एहिं मारिज्जइ' ( आवहाटी २ पृ १२५ ) ।
उच्चोली -- गठरी-परिकरेण बंधह चुण्णस्स उच्चोलीओ'
( सूचू १ पृ १९३ टि ) ।
उच्छ -- आंतों का आवरण ( दे १।८५ ) ।
उच्छंगिय -- पुरस्कृत ( दे १।१०७ ) ।
उच्छंट -- जल्दी-जल्दी चोरी करना ( दे १।१०१ ) ।
उच्छंटअ -- शीघ्र चोरी करना ( पा ६७६ )।
उच्छंद -- छीला हुआ, तोड़ा हुआ ( आचू पृ ३४४ ) ।
उच्छंदण -- मर्दन, अभ्यंगन-'मक्खणsब्भंगण उच्छंदण उव्वट्टण' ( अंवि पृ १९३ ) ।
उच्छट्ट -- चोर, डाकू (दे १।१०१) ।
उच्छडिय -- चुराई हुई वस्तु ( दे १।११२) ।
उच्छय -- व्याप्त-'देवेहि य देवीहि य समंतओ उच्छयं गयणं' ( आवहाटी १ पृ १२३ ) ।
उच्छल्लिउं -- एक ओर ले जाकर-'उच्छल्लिडं ति एकपार्श्वे नयित्वा' ( निचू १ पृ ६८ ) ।
उच्छल्लित्तु -- एक ओर ले जाकर ( निचू १ पृ ९८ ) ।
उच्छल्लिय -- १ एक ओर ले जाकर ( निभा २८१ ) २ जिसकी छाल छील दी गई हो वह ( दे १।१११ ) ।
उच्छविय -- शय्या, बिछौना ( दे १।१०३ ) ।
उच्छाह -- सूत का तंतु ( दे १।९२ ) ।
उच्छिंदण -- १ ब्याज पर लेना । २ उधार लेना ( पिनि ३१७ ) ।
उच्छिंपक -- चोरों का एक प्रकार ( प्र ३।३ ) ।
उच्चुलउलिय -- कुतूहलवश त्वरता से जाना ( दे १।१२१ ) ।
उच्चुल्ल -- १ उद्विग्न । २ अधिरूढ़, चढ़ा हुआ । ३ भयभीत ( दे २।१२७ ) ।
उच्चूर -- विविध प्रकार-'उच्चूरपउरलंभे' ( व्यभा ४।२ टी प ८२ ) ।
उच्चेल्लर -- १ हल आदि से बिना जोती हुई भूमी । २ साथल के रोम ( दे १।१३६ ) ।
उच्चेव -- प्रकट ( दे १।९७ ) ।
उच्चोल -- १ विश्रान्त । २ नीवी, स्त्री के अधोवस्त्र के दोनों छोरों पर दी जाने वाली गांठ ( दे १।१३१ ) । ३ चुल्लू, चुलुक-'पाणिए उच्चोल-एहिं मारिज्जइ' ( आवहाटी २ पृ १२५ ) ।
उच्चोली -- गठरी-परिकरेण बंधह चुण्णस्स उच्चोलीओ'
( सूचू १ पृ १९३ टि ) ।
उच्छ -- आंतों का आवरण ( दे १।८५ ) ।
उच्छंगिय -- पुरस्कृत ( दे १।१०७ ) ।
उच्छंट -- जल्दी-जल्दी चोरी करना ( दे १।१०१ ) ।
उच्छंटअ -- शीघ्र चोरी करना ( पा ६७६ )।
उच्छंद -- छीला हुआ, तोड़ा हुआ ( आचू पृ ३४४ ) ।
उच्छंदण -- मर्दन, अभ्यंगन-'मक्खणsब्भंगण उच्छंदण उव्वट्टण' ( अंवि पृ १९३ ) ।
उच्छट्ट -- चोर, डाकू (दे १।१०१) ।
उच्छडिय -- चुराई हुई वस्तु ( दे १।११२) ।
उच्छय -- व्याप्त-'देवेहि य देवीहि य समंतओ उच्छयं गयणं' ( आवहाटी १ पृ १२३ ) ।
उच्छल्लिउं -- एक ओर ले जाकर-'उच्छल्लिडं ति एकपार्श्वे नयित्वा' ( निचू १ पृ ६८ ) ।
उच्छल्लित्तु -- एक ओर ले जाकर ( निचू १ पृ ९८ ) ।
उच्छल्लिय -- १ एक ओर ले जाकर ( निभा २८१ ) २ जिसकी छाल छील दी गई हो वह ( दे १।१११ ) ।
उच्छविय -- शय्या, बिछौना ( दे १।१०३ ) ।
उच्छाह -- सूत का तंतु ( दे १।९२ ) ।
उच्छिंदण -- १ ब्याज पर लेना । २ उधार लेना ( पिनि ३१७ ) ।
उच्छिंपक -- चोरों का एक प्रकार ( प्र ३।३ ) ।